पहाड़ी भाषा दी नौई चेतना .

Sunday, June 16, 2019

जाति व्यवस्थाः उदगम, विकास होर जाती रे अंता रा प्रश्न (मंडयाली लेख)-7





अपणिया भासा च समाज दे बारे चसमाज दे विकासा दे बारे च लेखां दे मार्फत जानकारी हासल करने दा अपणा ही मजा है। समीर कश्‍यप होरां इक लेखमाला जाति व्‍यवस्था दे विकास पर लिखा दे हन। इसा माळा दा पैह्ला मणका असां कुछ चिर पैह्लें पेश कीता था। फिरी पहाड़ी भाषा पर चर्चा चली पई। हुण एह लेखमाला फिरी सुरू कीती है। छे लेख तुसां पढ़ी लै, अज पढ़ा इसा लेखमाळा दा सतुआं मणका।




डा. अंबेदकरा रे योगदान, तिन्हारी राजनीतिक विचारधारा होर राजनीतिक प्रयोग

अंबेदकरा रा योगदान क्या हा जाति उन्मूलना रे आंदोलना बिच? ये समझी के हे आसे अग्गी बधी सकाहें। अंबेदकरा रे राजनैतिक दर्शना री भूमिका क्या थी, तिन्हा रे दर्शना री पृष्ठभूमि क्या थी होर तिन्हारी राजनैतिक रणनितियां क्या थी जाति उन्मूलना रे बारे बिच। आसौ लगहां भई अंबदकरा रे सभी थे बडे दो योगदान थे। पैहला था दलित आबादी बिच आत्मगरिमा रा बोध पैदा करना। हालांकि एता कठे फुले, पेरियार, अयंकाली समेत कम्युनिस्टां री भूमिका बी थी। पर अंबदकरा रा विशेष स्थान इधी कठे बणी गया क्योंकि स्यों पैहले दलित स्कॉलर थे ज्यों इतनी हदा तक शिक्षित थे। दूजा कारण ये था भई जाति रे प्रश्ना रे कई पहलुआं जो जेस जोरा के तिन्हें रेखांकित कितेया खास तौरा पर जेता रे बारे बिच आनंद तेलतुमडे बी ठीक लिखिहाएं से था दलिता रा सिविल होर डेमोक्रिटिक राइट यानि तिन्हारे नागरिक होर जनवादी अधिकारा रे प्रश्ना जो जेस तरीके के ऱेखांकित कितया होर एताजो विशिष्टता दिती। इधी कठे तिन्हा रा योगदान एकी रूपा के विशिष्ट बणहां। अंबेदकरा रा दूजा प्रमुख योगदान था राष्ट्रीय आंदोलना रे एजेंडे पर जाति रे प्रश्ना जो जोरा के स्थापित करना। हालांकि कम्युनिस्ट पार्टिये बी 1927-28 बिच इन्हा प्रश्ना रे बारे बिच प्रस्ताव पारित किते थे। पर अंबेदकर एते पैहले ले सक्रिय थे। सन 1919 ई. बिच स्यों साउथब्युरो कमेटी रे सामहणे आपणी टेस्टीमनी यानि ब्यान देहाएं। ये तिन्हारा भारता बिच पैहला राजनैतिक कदम था। इन्हां दोनों योगदाना के अंबेदकरा रा जाति उन्मूलना रे आंदोलना बिच एक बडा स्थान बणहां। तिन्हा रे जाति उन्मूलन आंदोलना रे प्रति सरोकार जीवन भर बणीरे रैहाएं। महाड जाति बिच पैदा हुणे रे करूआं तिन्हा जो भेदभावा रा शिकार हुणा पौहां। विदेशा बिच बडी-2 डिग्रियां लैणे रे बावजूद बी तिन्हा जो भेदभाव झेलणा पौहां। एता के तिन्हारे सरोकार होर चिंता ज्यादा मजबूत हुंदी जाहीं। स्यों अमेरिका री कोलंबिया युनिवर्सिटी पढ़े जे प्रैगमेटिसम यानि व्यवहारवादा रा गढ़ था। इथी जॉन ड्युई समेत बडे-2 प्रैगमैटिस्ट दार्शनिक थे। इथी व्यवहारवादा री एक अमिट छाप अंबेदकरा पर पई।

अंबेदकरा री आलोचना आसा जो कि नीं करनी चहिए? अंबेदकरा बिच बौहत सारे अंतर्विरोध हे। स्यों अतंर्विरोधी गल्ला करदे हुए चलहाएं। पर ये अंतर्विरोध निरंतर चलदा रैहां। एताजो आसे कंसिस्टेंट इनकंसिस्टेंसी ऑफ प्रैगमेटिसम बोल्हाएं। व्यवहारवादा री निरंतरतापुर्ण अनिरन्तरता। ये अनिरन्तरता रणकौशला रे कठे ता ठीक हुई सकहाईं पर विचारधारा रे मामले बिच ये गल्ल गल्त हुआईं। विचारधारा जो दांवपेचा रा मसला नीं बनाया जाई सकदा। दूजी गल्ल अंबेदकरा रे ईरादेयां पर कधी गल्ल या आलोचना नीं किती जाई सकदी। तिन्हारे इरादेयां बिच कोई खोट नीं था। तिन्हें कधी बी लेणदेणा कठे होर भौतिक लाभा कठे कोई पद नीं लितेया। तिन्हारा पद लेणे रा मकसद सिर्फ दलिता कठे योगदान करना हे हुआं था। इधी कठे तिन्हारी मंशा पर गल्ल नीं करनी चहिए। मंशा पर गल्ल करने री बजाय आसौ जो राजनैतिक व्यक्ति, संगठन होर आंदोलना री गल्ल करनी चहिए। आसौ गल्ल करनी चहिए भई अंबदकरा रा राजनैतिक होर विचारधारात्मक स्टैंड क्या था। अंबेदकरा री राजनैतिक होर विचारधारात्मक अवस्थिति रा मूल्यांकन करदे वक्त एक चीज ध्याना बिच रखी जाणी चहिए जे तिन्हें आपु बोली थी, तिन्हारे शिष्य के एम कदम बोली थी, तिन्हारी जीवनी लिखणे वाले खैरमोडे बोली थी होर तिन्हारी दूजी पत्नी सविता अंबेदकरे बोली थी। अंबेदकर उम्र भर एक निरंतर ड्युईवादी व्यवहारवादी थे। जॉन ड्युई तिन्हारे अध्यापक थे कोलंबिया विश्वविद्यालय बिच। जॉन ड्युई रे विचार होर तिन्हारी शिक्षा रा युवा अंबेदकरा पर बौहत डुग्घा असर पया। जॉन ड्युई री विचारधारा जो व्यवहारवादा रे नावां ले जाणेया जाहां। अंबेदकरे बोल्या था भई स्यों आपणे समस्त बौद्धिक जीवना कठे जॉन ड्युई रे ऋणी हे। तिन्हारे शिष्य के एम कदम बोल्हाएं भई अगर अंबदकरा जो समझणा हो ता तुसा जो ड्युई जो समझणा पौणा। खैरमोडे भी एहडाहे बोलहाएं। सविता अंबेदकर बोल्हाईं भई जॉन ड्युई री क्लासा मंझ बैठणे रे 30 साल बाद बी अंबेदकर आपणे भाषणा होर वक्तव्या बिच जॉन डयुई री क्लास रूमा रे मैनरिज्मा रा अनुसरण करहाएं थे। जॉन ड्युई री विचारधारा अंबदकरा रे राजनैतिक कार्यक्रमा, रणनितियां होर तिन्हारे राजनैतिक जीवना पर लागू हुआईं थी। अंबेदकरे आपणे दार्शनिक मूल्या, राजनैतिक विचारधारा होर राजनैतिक प्रयोग बिच डयुईवाद व्यवहारा बिच उतारेया।

डा. जेफरलोट क्रिस्टोबे री कताब डा. अंबेदकर एंड अनटचेबिलिटी बिच स्यों अंबेदकरा री चार राजनैतिक रणनीतियां रे बारे बिच दसहाएं। जेता मंझ पैहली रणनीति थी अस्मिता निर्माण। अंबेदकरे समाज बिच ग्रेडेड अनइक्वलिटी यानि संस्तरीकरणबद्ध असमानता रे लक्षणा री पैहचाण कीती। एस पहचाणा बाद स्यों अश्पृश्य होर शुद्रा जो एकी मंचा पर ल्याउणे री कोशीश करहाएं। तिन्हारे कोलंबिया युनिवर्सिटी रा पेपर था कास्टः मैकेनिसम, जेनेसिस, डिवेलपमेंट। एता बिच स्यों जाति व्यवस्था रे उदभवा रा सिद्धांत देहाएं। स्यों बोल्हाएं भई ब्राह्मणे आपणे बिच सजातिय ब्याह स्थापित कितेया। बाकी समाजा पर तिन्हें सजातिय ब्याह थोपेया नीं पर स्यों तिन्हे लंबी प्रक्रिया बिच सहमत करी लिते भई ब्राह्मणा रे मूल्य, परंपरा होरियां ले श्रेष्ठ ही। इधी करूआं होरी समूहे बी सजातिय ब्याह स्वीकार करी लितेया। एता के वर्ण व्यवस्था रा जन्म हुआ। पर तेबे ये सवाल पैदा हुआं भई ब्राह्मण किने पैदा किते। अगर ब्राह्मणा री उत्पति रा कोई सिद्धांत न देई पाओ तो आसे विरोधाभासा बिच पई जाहें। तिन्हारी कताब आवहाईं व्हू वर शुद्रास। तेता बिच स्यों सिद्धांत देहाएं भई शुद्र सुर्यवंशी क्षत्रिय थे। तिन्हारा ब्राह्मणा के अंतर्विरोध था। तेता करूआं ब्राह्मणे तिन्हा जो उपनयन संस्कार देणे ले इंकार करी दितेया। तेता री वजह के स्यों द्विज नीं बणी पाये होर शुद्र बणी गए। पर जाहिर जेह गल्ल ही भई ये सिद्धांत एतिहासिक शोद्धा रे मुताबिक ठीक नीं ठैहरदा। तरीजी रचना तिन्हारी आई, अनटचेबलः व्हू वर दे एंड हाउ दे बिकम अनटचेबल। एता बिच स्यों बोल्हाएं भई बौध धर्मा रे उदय हुणे ले कुछ जातियें बौद्ध धर्म अपनाया। यों जेबे अधीनस्थ हुई होर आर्यां जेबे यों जातियां आपणे राज्या ले बाहर धकेली दिती ता तिन्हा बिच विखंडन पैदा हुआ। अंबेदकर ब्रोकन मैन (जिथी ले दलित शब्द निकलेया) शब्दा रा प्रयोग करहाएं इन्हां कठे। यों ब्रोकन मैन 6वीं सदी ई.पू. बिच जेबे बुद्धे प्रवचन देणा शुरू किते थे ता ये सभी ते पैहले बौद्ध बणे होर तेबे तका बौद्ध रैहे जेबे तका बौद्ध धर्म कुचली नीं दितेया गया। पर यों तेबे बी मांस भक्षण करदे रैहे। एता के चिढ़ी के ब्राह्मणे तिन्हा पर अश्पृश्यता लगाई दिती। हालांकि प्रतिक्रिया बिच इन्हारी जातियें बी ब्राह्मण बहिष्कृत करी दिते। एता के अश्पृश्यता रा जन्म हुआ। पर अंबेदकरा री ये गल्ल बी एतिहासिक प्रमाणा री रोशनी बिच साबित नीं हुंदी। क्योंकि इतिहासिक स्रोता रे मुताबिक ब्राह्मण ता आपु बी 10वीं सदी ई. तका मांस भक्षण करी करहाएं थे। होर बौद्ध धर्मा मंझ ता मांस भक्षणा री साफ मनाही थी होर मांस भक्षणा वाले हीन दसीरे। दरअसल अंबेदकरा रा सारा इतिहास लेखन दरअसल इतिहास लेखन नीं हा बल्कि से राजनैतिक लेखन हा। अंबेदकरे एक एहडी पहचान दिती जेता बिच शुद्र होर दलित जातियां जो जोडी दितेया जाए ता भारता री जनता रा बहुमत बणी जाहां। ये अस्मिता निर्माणा कठे राजनैतिक कवायद थी जेता कठे स्यों एहड़ा इतिहास लेखन करहाएं। जेफरलोट होर गेल ओमवड्थ बोल्हाएं भई कुछ अपूर्ण रचना मंझ अंबेदकर लिखाहें भई ब्रिटिश प्रशासके जाति री उत्पति रे नस्लवादी सिद्धांत दिते थे। यों सिद्धांत अंबेदकरे सिरे ले खारिज किते थे। आपणे आखरी समया बिच अंबेदकर ग्रांड रेसियल थ्युरी ऑफ ओरिजन ऑफ कास्टा पर काम करी करहाएं थे। गेल ओमवड्थ बोल्हाएं भई अंबेदकर एसा थ्युरी बिच दसहाएं भई हिंदू भारता री मुस्लिम विजया या ब्रिटिश विजया ले काफी पैहले बौध भारता पर हिंदू विजय हुई थी। स्यों मौर्य राजेयां होर अशोका जो नागा राजा रे तौरा पर यानि मूल निवासी रे तौर पर रखहाएं होर अशोका रे विराट रूपा रा निर्माण करहाएं जे नागा राजा रे रूपा बिच बौद्ध धर्मा जो कायम रखणे वाला हा। अंबेदकर एसा थ्युरी जो विकसित करने री सोची करहाएं थे।

अंबेदकरा री दूजी रणनीति थी चुनावी होर संगठनात्मक। सन 1919 ई. बिच साऊथब्युरो कमेटी आवाहीं। ये कमेटी मौंटग्यु चेम्सफोर्ड सुधारा रे तहत गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1919 बिच चुनावी मताधिकार तय करने से मकसद ले आईरी थी। अलग-2 संगठना जो कमेटी सामहणे आपणे प्रस्ताव रखणे कठे बुलाया जाई करहां था। दलिता रा प्रतिनिधित्व करदे हुए अंबेदकर बी एसा कमेटी सामहणे गए होर तिन्हें दो गल्ला रखी कमेटी सामहणे। तिन्हें बोल्या भई हिंदू समाजा री विभाजक रेखा ही स्पर्श किते जाणे वाले लोक होर अश्पृष्य लोक। तिन्हें बोल्या भई एस लिहाजा ले अश्पृष्य अल्पसंख्यक हे इधी कठे चुनावा बिच या ता तिन्हा जो रिजर्व सीटा दिती जाए या फेरी अलग निर्वाचन क्षेत्र दितेया जाए। दूजा कदम था अंबेदकरा रा बहिष्कृत हितकारिणी सभा रा घोषणा पत्र। एस सभा रे गठना रा तिन्हारा मकसद था दलित आबादी मंझ शैक्षणिक होर सांस्कृतिक काम करना। सन 1927 बिच अंबेदकर साइमन कमीशना रे सामहणे प्रस्ताव रखहाएं भई तिन्हा जो अलग मतदान क्षेत्र दितेया जाए या फेरी रिजर्व सीटा दिती जाए जेता बिच सभी दलिता जो मताधिकारा रा अधिकार हो। साइमन कमीशने मनया भई रिजर्व सीटा देणी पर चुनावा बिच खड़ने कठे उम्मीदवारा जो तेस प्रांता रे गर्वनरा ले प्रमाण पत्र लैणा पौणा। सन 1930 होर 1931 ई. री राउंड टेबल कांफ्रेंसा बिच बी अंबेदकर भाग लैहाएं।

महाड़ा दलित जातियां री पैहली कांफ्रेंस हुआईं मार्च 1927 बिच होर दूजा सत्याग्रह हुआं 25 दिसंबर 1927 बिच। 24 साला रे आर बी मोरे 1924 बिच महाड़ दलिता जो संगठित करने रा काम शुरू करहाएं। दरअसल 1923 बिच तिथी री नगरपालिके एक प्रस्ताव पारित कितिरा था तेता जो बोले प्रस्ताव बी बोल्हाएं। एस प्रस्तावा रे अनुसार सारे सार्वजनिक कुएं, सडक, मंदिर बगैरा दलिता कठे खुले हुणे चहिए। पर ये प्रस्ताव लागू नीं हुई करदा था। एता जो लागू करने कठे तिथी बगावता हुई करहाईं थी। इधी आपणे अध्यक्षीय भाषणा बिच अंबेदकर बोल्हाएं भई अश्पृष्या जो सफेद कॉलर नौकरियां अपनाणी चहिए। 25 दिसंबरा जो मनु स्मृति रे दहन के स्यों निश्चित तौरा पर ब्राह्मणवादी सोचा पर हमला करहाएं। अंबेदकरे एतारी तुलना फ्रांसा री क्रान्ति बिच बास्तीय रे किले पर धावे के किती थी। आनंद तेलतुमडे एतारी आलोचना कितिरी होर बोलिरा भई ये एक प्रतीकात्मक कदम था जबकि बास्तीय किले पर धावा प्रतीकात्मक कदम नीं था। एता बिच जनता सडका पर आई थी होर जनते किले पर धावा बोली दितेया था। सन 1941-42 ई. मंझ अंबेदकरे शैडयुल्ड कास्ट फैडरेशना रे माध्यमा ले क्रिप्स मिशना रे सामहणे तीन प्रस्ताव रखे थे। यों प्रस्ताव थे अलग चुनाव क्षेत्र दितेया जाए, कार्यकारिणी बिच दलित प्रतिनिधित्व दितेया जाए होर अलग दलित गांव बसाये जाएं।

अंबदकरा री तरीजी रणनीति थी राज्यसत्ता के सहयोग। अंबेदकर वार कौंसिला रा समर्थन करहाएं। वायसराय री कौंसिला बिच स्यों सदस्य बणहाएं। सरकारा के सहयोगा रे दौरान तिन्हारा मुख्य योगदान रैहां इंडियन ट्रेड यूनियन संशोधन बिल 1946। एस संशोधना बिच स्यों प्रावधान करहाएं भई हर नियोक्ता यानि मालिका जो आपणे कारखाने बिच एक ट्रेड यूनियना जो मान्यता देणे री बाध्यता हुणी। तिन्हें अंग्रेज सरकारा ले इंग्लैंडा रे टैक्नीकल संस्थाना बिच दलिता कठे कुछ सीटा आरक्षित करवाई। आजादी बाद स्यों संविधान सभा रे अध्यक्ष बणे। हालांकि एस संविधाना बिच ज्यादातर प्रावधान 1936 रे गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्टा रे हे लिते गए। जेता करूआँ कई कठोर कानून आसारे संविधान बिच शामिल रैहे होर यों कानून अझी तका मौजूद हे। अंबेदकर प्रगतिशील हिंदू कोड बिल ल्याउणा चाहें थे होर स्यों तेता कठे लडे बी थे। एसते अलावा स्यों श्रम मंत्रालय चाहें थे पर स्यों कानून मंत्री बनाई दिते गए। जेता करूआं तिन्हें 1955 बिच मंत्री पदा ले इस्तीफा देई दितेया था। बादा बिच तिन्हारा संविधाना ले मोहभंग हुई गईरा था होर तिन्हें बोल्या था भई एस संविधाना जो जलाणे वाले सभी थे पैहले स्यों हे हुणे। 

अंबेदकरा री चौथी रणनीति थी धर्मांतरण। एता रे बारे बिच पैहला उल्लेख मिल्हां 1929 री जलगांव दलित वर्गा री कांफ्रेसा बिच। एता ले बाद स्यों 18 जून 1936 बिच हिंदू महासभा रे मुंजे से मिल्हाएं। मुंजे तिन्हा जो सिक्ख बणने रा सुझाव देहाएं। पर जेबे सिक्ख धर्मा ले तिन्हा जो कोई खास तवज्जो नीं मिल्दी ता तिन्हारा झुकाव बौद्ध धर्मा बखौ हुई जाहां। स्यों बौद्ध धर्मा रा अध्ययन करहाएं। होर जीवना रे आखरी वक्ता बिच जेबे अंबेदकर बौद्ध बणहाएं तो तिन्हा सौगी करीब 6 लाख दलित बौद्ध बणी जाहें। पर नवबौद्धा रे रूपा बिच बौद्ध धर्मा बिच बी एक नौंवा वर्ग बणी जाहां। एता के बी जाति अंत नीं हुई पांदा। अंबेदकरा री कताब ही बुद्ध होर मार्क्स। कताबा बिच स्यों दसहाएं भई तिन्हें बौद्ध धर्मा रे त्रिपिटका रा अध्ययन कितिरा। पर स्यों ये नीं दसदे भई तिन्हें मार्क्सा रे बारे बिच क्या अध्ययन कितिरा। आनंद तेलतुमडे बोल्हाएं भई अंबेदकरे मार्क्सवादा री एक भी क्लासकीय कताबा रा अध्ययन नीं कितिरा था।

1 comment:

  1. लेखा जो सुंदर होर सुरूचीपुर्ण ढंगा के छापणे कठे पहाडी दयारा रा बौहत-2 धन्यावाद, आभार होर शुक्रिया।

    ReplyDelete