अपणिया भासा च समाज दे बारे
च, समाज
दे विकासा दे बारे च लेखां दे मार्फत जानकारी हासल करने दा अपणा ही मजा है। समीर
कश्यप होरां
इक लेखमाला जाति व्यवस्था दे विकास पर लिखा दे हन। इसा माला दा पैह्ला मणका असां कुछ चिर पैह्लें पेश कीता था। फिरी पहाड़ी भाषा
पर चर्चा चली पई। हुण एह लेखमाला फिरी
सुरू कीती है जिसा दा दुआ मणका तुसां पढ़ेया। अज पढ़ा इसा दा त्रीया
मणका।
ब्राह्मणवादा रा चरित्र हर युगा बिच शासक वर्गा जो आपणे शासना जो ठीकठहराणे रा धार्मिक होर कर्मकांडिय वैधीकरण देणा हा। डी डी कोसाम्बी री कताबमिथक होर यथार्थ एस चरित्र जो समझाणे कठे बड़ी उपयोगी मनी जाहीं। 1700 ई.पू. ले छठी शताब्दी ई. तक उत्पादन रे संबंध बड़े पैमाने पर बधले। योंबदलाव पुराणे कर्मकांडा रे ढांचे बिच भूकंप रे झटके थे। दक्षिण भारत बिचब्राह्मणवादे सत शुद्र होर असत शुद्रा रा विभाजन कितेया। जेता बिच सत शुद्रब्राह्मणा रे संरक्षक मने गए होर तिन्हा री क्षत्रिया री भूमिका स्वीकारकिती गई। आंध्रा बिच रेड्डी राजे पैदा हुए। हालांकि छठी सदी ई. बिचहर्षवर्धन एक वैश्य राजा था। पर दक्षिण भारत होर पूर्वी भारता बिच वैश्यहोर क्षत्रिय जातियां नीं थी। मारवाड़ियां री वैश्य जाती बादा बिच पूर्वीभारता जो गई थी। दक्षिण होर पुर्वा बिच सिर्फ ब्राह्मण होर शुद्र ही थे।वर्ण व्यवस्था अगर केसी ग्रन्था ले निकली री हुंदी ता ये व्यवस्था हर जगहाएक बराबर ही हुंदी होर एता बिच देश-काला रे आधार पर अंतर नीं हुंदा।
जाति वर्ण व्यवस्था क्या ही? वर्ग विभाजना रे तौरा पर ये वैदिक काला रेउतरार्धा बिच पैदा हुई। ब्राह्मण होर ब्राह्मणवादी विचारधारा रा इस्तेमालकरी के तेस वक्ता रे शासक वर्ग समुच्चये (ब्राह्मण, क्षत्रिय), तेस वक्तारे वर्ग विभाजना जो आपणे वर्ग विशेषाधिकारा जो सुरक्षित रखणे कठे होरसजातीय ब्याह रे जरिये एता री निरंतरता बनायी रखणे कठे धार्मिक होरकर्मकांडीकरणा करी के एस व्यवस्था रा अश्मीभूतीकरण या जीवाश्मीकरण कितेया।
उत्पादन प्रकृति के सौगी आदमी री अंतःक्रिया ही। ये अंतःक्रिया सदा गतिमानरैहाईं। एतारे बदलने ले उत्पादना री पद्धति बदलाहीं। पद्धति बदलणे लेउत्पादना रे रिश्ते बदलाहें। विनिमया रे संबंध बदली जाहें। वर्ग संबंध बदलीजाहें। पर जाति व्यवस्था तुलनात्मक रूपा के स्थिर हुई गई। बदलदे हुएउत्पादन संबंधा के जाति व्यवस्था रे पुराणे खांचे रे वर्ग संबंधा बिच घुटनआउंदी लगाहीं। एते जाति व्यवस्था रे कर्मकांडिय ढांचे मंझ भूकंप रे झटकेपैदा हुआएं। जेते संलयन होर विखंडना री प्रक्रिया शुरू हुआईं। ब्राह्मणवादीविचारधारा नौवीं स्थितियां मंझ नौवें शासक वर्गा रे समुच्चय जो बनाई रखणेकठे जातिगत पदानुक्रमा जो भी के अडजस्ट करदी रैहाईं।जाति होर वर्गा रा क्या संबंध हा? जाति आज भी आंशिक तौरा पर श्रम विभाजनाजो, विनमय होर वितरणा जो प्रभावित होर निर्देशित करी करहाईं। जाति पूरीतरहा के अधिसंरचना रा अंग नीं ही। जाति पैदा हे वर्ग विभाजना ले हुईरी।जाति होर वर्गा रा रिश्ता संगति रा रिश्ता हा। बदलदे वर्ग संबंध होरउत्पादन संबंध जाति रे बदलाव बिच निर्धारक भूमिका निभाहें। विचारधारा रेचश्मे ले आसे दुनिया देखाहें।मध्यकालीन भारता बिच जाति रा स्वरूप1700 ई.पू.-1100 ई. तका रे काला बिच जाति व्यवस्था चारावाह समाज, प्राकसामंती किसान अर्थव्यवस्था ले सामंती व्यवस्था रे दौरा तक हुंदी हुई 1 सदीई. ले 5वीं सदी तका परिपक्व हुआईं। जबकि अलग रूप 7,8,9वीं सदी ई. बिच धारणकरहाईं जेबे गुप्त साम्राज्य रा पतन हुआं होर छोटे-छोटेक्षेत्रिय राज्यबणहाएं। जाति व्यवस्था बदलदे आर्थिक सामाजिक संबंधों, उत्पादन रे संबंधोंहोर बदलदी हुई उत्पादना री पद्धति के सौगी ढांचागत परिवर्तन किहां आवहां येआसे अझी तका देखया।ब्रिटिश शासना रे दौरान जाति-व्यवस्था रा चरित्रअंग्रेजी शासना री शुरूआता बिच भारत रा स्वरूप क्या था एता रे बारे बिच सी एबैली री कताब ही रूलर्स, टाउनमैन एंड बाजार। अंग्रेजी शासना बिच जेमहत्वपूर्ण बदलाव आए तिन्हा जो आसे इहां रेखांकित करी सकाहें। पहला बदलावआया भूमि री व्यवस्था बिच। भूमि रा स्थाई बंदोबस्त कितया जाहां। यू पी, बंगाल होर बिहारा बिच जमींदारी बंदोबस्त, हरियाणा होर पंजाबा बिच रैयतवाड़ीव्यवस्था होर गुजरात, पश्चिमी भारता बिच महालवाड़ी व्यवस्था लागू हुआईं।स्वर्ण जमींदार या मध्यम किसान जमींदारा जो जमीना रा मालिक बनाणे रा कामपैहली बार भारता रे इतिहासा बिच ब्रिटिश उपनिवेश काला बिच हुआं। 2014-15 रेआंकड़ेयां रे मुताबिक भारता बिच सारे भूमिहीन मजदूरा रा 48 प्रतिशत दलितमजदूर हा। कुल ग्रामीण दलित आबादी बिच 85 ले 90 प्रतिशत दलित आबादी भूमिहीनमजदूर ही। एता रा कारण हा औपनिवेशिक लगान व्यवस्था।दूजा बदलाव ब्रिटिश काला बिच ये आया भई उद्योग होर रेलवे बगैरा रा सीमितविकास हुआ। एता के जाति व्यवस्था बिच बड़ा परिवर्तन आया। बम्बई, अहमदाबाद, ढाका, सूरत, कलकता, कानपुर, मद्रास, तिरूपुर साहीं कई शहरी औद्योगिककेन्द्र विकसित हुए। यातायात रे साधन विकसित हुए। दलित, शूद्र, आदिवासी होरभूमीहीन हे मुख्य रूपा के मजदूर बने। औद्योगिकरण होर शहरीकरणा के जाति रीविशिष्टता आनुवांशिक श्रम होर छुआछात कमजोर हुई।तरीजा बदलाव था एथनोग्राफिक स्टेट बणना यानि प्रजा री गिनती करना होरवर्गीकृत करना। एता रा मकसद था शासित जनता पर बेहतर तरीके के शासन करना। एचएच रिजले ब्रिटिश एथनोग्राफिक थे तिन्हें जातियां होर जनजातियां रा अध्ययनकितेया। विलियम जोन्स ओरिएंटल सोसायटी आफ इंडिया बणाहें। एता बिच स्यों दोवर्गा रे लोका जो भर्ती करहाएं ब्राह्मण होर मौलवी। भारता पर राज करने कठेभारता जो समझणा जरूरी था। धार्मिक ग्रन्था रे अनुवाद किते गए अंग्रजी बिच।जर्मन इंडोलोजिस्ट मैक्स मूलर संस्कृता रा अध्ययन करी के इन्हा रा अनुवादकरहाएं। सन 1881 ई. बिच पैहली जनगणना हुआईं। एस जनगणना बिच पैहली बारजातियां री गणना किती जाहीं ओर जातियां रा वर्गीकरण कितया जाहां। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र होर अस्पृश्य जातियां री निशानदेही साफ रूपा केरेखांकित किती गई।जाति स्थिर करी दिती गई। पैहले जाति बिच थोड़ी बौहत गतिरैहाईं थी। पर ये गति अब कानूनी दस्तावेजा के बंद करी दिती गई। एथनोग्राफिकस्टेट रा मतलब हा एथनिक पहचान रे रूपा बिच जातिगत, राष्ट्रीय, भाषाई, क्षेत्रगत जनता जो जोड़ना होर वर्गीकृत करना। सबअल्टर्न इतिहासकार निकोलसडर्क बोल्हाएं भई जाति व्यवस्था जो रूढ़ीबद्ध होर कठोर बनाणे ले जाति री गतिखत्म हुई गई होर जातियां रे बिच विभाजक रेखा खींची दिती गई। यानि जातिव्यवस्था अंग्रेजे मजबूत हे किती।अंग्रेज जेबे देश छाड़ी के जांदे लगीरे थे ता भारता रे सामंत, राजे रजवाडेहोर जमींदार तिन्हा बाले गए होर तिन्हा जो बोल्या भई तुसे भारत छाडी के नींजावा नीं ता सब कुछ बर्बाद हुई जाणा। ज्योति बा फूले बी अंग्रेजा रे प्रतिपैहले आशावादी थे। तिन्हा री रचना गुलामगिरी बिच ये आशावाद देखणे जोमिल्हां पर वक्ता रे सौगी-सौगी तिन्हा रा अंग्रेजा ले मोह भंग हुआँ होरस्यों अंग्रेजा री कड़ी आलोचना करहाएं। एतारे हवाले तिन्हा री बादा बिचलिखिरी कताब किसाना रा कोड़ा बिच मिलहाएं। अंबेदकर बी फैमिन इन इंडिया बिचअंग्रेजा री आलोचना करहाएं। पर पश्चिमी शिक्षा रे दरवाजे दलिता कठे खोलणेरी वजह ले अंग्रेजा रे प्रशंसक थे। (हालांकि यों दरवाजे हर जगह नहीं खोलेगए थे)। आनंद तेलतुमडे री कताब महाड हाखियां खोलणे वाली कताब ही। हालांकिअंग्रेजे शुरू बिच दलिता कठे सेना री भर्ती खोली थी पर 1891-92 बिच ये बंदकरी दिती थी। उच्च वर्णा री स्थिति अंग्रजी काला बिच बी उच्च हे बणीरीरैही। ब्रिटिश काला बिच जातियां री विभाजक रेखा कानूनी रूपा के रेखांकितहोर पारिभाषित हुई जाहीं जे जातिगत पदानुक्रमा जो रूढ़ बणायी देहाईं। जातिरा एक अश्मीभूतीकरण ब्राह्मणे कितेया था फेरी ब्रिटिश शासने कितेया। एस सीहोर एस टी री कैटागरी बणी जाहीं। अंग्रेज शासन काला रा फायदा दलित आबादी रेसिर्फ दो प्रतिशत लोका जो हे हुआ होर मुख्य तौरा पर दलित जातियां रानुकसान हे हुआ।
इतिहासकार इरफान
हबीब होर वी के ठाकुर री कताब ही दि वैदिक एज। तेता बिचस्यों बोल्हाएं भई तुर्क
होर मुगल शासके भारता रे सरप्लस लूटणे रा तरीकाबिल्कुल नीं छेड़या। मुस्लिमे सिर्फ
दो चीजा कठे हिंदू धर्मा री आलोचनाकितिरी। स्यों थे बहुदेववाद होर मूर्तिपूजा।
जबकि जाति व्यस्था री बिल्कुलबी आलोचना नीं कितिरी। सिर्फ अल्बेरूनिए कुछ
आलोचनात्मक गल्लां लिखिरी भई येठीक नहीं हा होर आसे मुस्लिम एहड़े नीं हुई सकदे।
सौगी-सौगी तिन्हे एहड़ा बीबोल्या भई व्यवस्था ये बड़ी जबरदस्त ही होर बडी कारगर
ही। केसी बी मुस्लिमशासके, सकॉलरे, यात्रिये जियां बर्नी (आइने तुगलक) समेत सभीयें
जातिव्यवस्था री प्रशंसा हे कितिरी। मुस्लिम शासके सिर्फ इथी रे राजा हे
अपदस्थकिते जबकि राजकाज रे निचले ढांचे के तिन्हें रिश्ता बणायी रखया होर
सामंतीभूस्वामी, ब्राह्मण होर क्षत्रिया के गठजोड़ बणाया। इन्हां जो सैनिकटुकड़ियां
रखणे री इजाजत दिती गई बशर्ते स्यों लगान देंदे रौहो। हालांकिइन्हा रे नावं बदली
गई मनसबदार, जमींदार बगैरा यानि सिर्फ प्रशासनिक स्तरापर नावं बदलने जो लैई के
छेड़छाड़ हुई। जबकि श्रम विभाजन, मुक्त किसान होरखेतीहर मजदूरा री व्यवस्था के
तिन्हें कोई छेड़छाड़ नीं किती।
लेखा जो छैल तरीके के जगहा देणे कठे पहाड़ी भाषा री नौवीं चेतना "दयारा" रा बौहत-बौहत धन्यवाद, आभार होर शुक्रिया।
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