पहाड़ी भाषा दी नौई चेतना .

Sunday, September 20, 2015

मेरा लाल टुकड़ा


अकबर पदमसी तेल रंग
अरुंधती सेठी दी अंग्रेजी कवता माई पीस आॅफ रेड कनै तेज सेठी दा पहाड़ी कनै हिंदी अनुवाद


मेरा ला टुकड़ा

लाल अम्बर
मढ़ेया 
रात्ती समैँ दीया खिड़किया च

हुँदा कदी-कदायीं

इक्क् टोट्टा टि:ह्रिया
बचपने दे ड्रॉणे सुपने 'च ते

कनै कदी-कदोयैं

इक्क दमघोट्टू
पसङ्गार
मिटियाई ति:यो तरेयां दा
कनै निगळी छड्डेयो हुआई झाज्जां दा

कदी कदी
एह दे:ह्या होई जाँदा ठल्ल
लगदा यह फोड़ा ह्या
तणोईईया पीड़ा कनै

कड़ी-कदोयैं
एह जानदार हुँदा
अपर घट्ट ही

लगभग हमेशा
हुँदा  धुस्सड़ लाल

ल:हुयें सा:ह्यी
बौहत बौहत पुराणेयां समेयां दा।
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मेरा लाल टुकड़ा

रक्तिम आसमान
ढ़ा हुआ
मेरी रात्रि समय की खिड़की में

होता है कभी कभी

एक टुकड़ा गिरा हुआ
बचपन के एक भयानक स्वप्‍न से

और कभी कभी 

एक दमघोटू विस्तार 
मिटा दिये गये तारकों का
और निगले गये वायुपोतों का

कभी कभी 

यह हो जाता इतना स्थिर
लगता है यह फोड़ा है
तना हुआ दर्द से 

कभी कभी 
यह हो जाता जीवन्त 

पर यदा कदा

परंतु यह लगभग सर्वदा 
होता है धूसर लाल
लहू की तरह 
बहुत बहुत पूर्व समय का-
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My Piece of Red

The red sky
Framed in my
Night-time window

Is sometimes

A piece fallen
Out of a childhood nightmare.

And sometimes

A suffocating
Expanse
Of erased stars
And swallowed air crafts.

Sometimes,
It is so still
It seems it is sore
And taut in pain.

Sometimes,
It is alive.
But barely.

But it is almost always
A dull red.

Like blood
Of a long long time ago.

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