पहाड़ी भाषा दी नौई चेतना .

Wednesday, November 16, 2022

इक ब्राजीली कविता

 


मारियो द अंदरेदे

Mario de Andrade (1893-1945)


मारियो इ अंदरेदे ब्राजील दे कविउपन्यासकारआलोचककला इतिहासकारसंगीतशास्त्री और छायाचित्रकार हन । 1922 च छपया  Hallucinated City इन्हां दा बड़ा जरूरी कविता संग्रह है ।  मारियो दा ब्राजील दे आधुनिक साहित्य पर गैह्री छाप है। संगीत च इन्हां दे योगदान ताईं भी इन्हां जो याद कीता जांदा है । एह्थी इन्हां दी इक कविता दे अंग्रेजी अनुवाद सौगी पहाड़ीपंजाबी कनै हिंदी अनुवाद पेश है । कविता दा नां है Valuable time of Maturity । पहाड़ी अनुवाद तेज कुमार सेठी, पंजाबी अनुवाद अमरजीत कोंके कनै हिन्दी अनुवाद अनूप सेठी नै कीतेया है।

पहाड़ी 

पकिया उमरा दा कीमती वक्त

मैं गिणे अपणीयां जिन्दड़ीया दे साल

तां पता लग्गा

बौह्ती बीती

थोड़ी जेह्यी रह्यी

 

अतीत लम्मा है कनै भविक्ख छोटा

 

लग्गेया जिह्ञ्यां सैः बच्चा जिस्जो मिल्ली डळू भर चेरी

पैह्ल्लैं खान्दा गेया

फिरी जाह्लु जे बझोया भई थोड़ी जेह्यी बची यैय्यी

तां लगा ठुंगणा सुआद लेई लेई नै

 

हुण मेरे व्हल वकत बचेया नी है औसत दरजे दीयां चीजां कनै निब्बड़ने दा

 

ऐसियां मैहफलां च नी जाणा चाहन्दा जित्थू जे सड़ेह्यो भुज्जेह्यो फिरा दे होन अकंहार

 

डाह्ये नै भरोह्यां ते परेशान रैह्न्दा

जेह्ड़े सब्भना ते काबल लोकां जो बदनाम करी देणा चाह्न्दे

तिन्हां दी जगह हड़पी लैणा चाह्न्दे

तिन्हां जो लळचान्दा उन्हां दा औह्दा, लियाकत कनै किस्मत

 

फजूले दींयां गल्लां ताईं मेरे गैं वकत नी है

जो मेरिया जिन्दगिया दा हिस्सा ई नी

उन्हां दींयां जिन्दगानियां पर चरचा करना बेकार है

 

ऐसेयां लोक्कां देयां नखरेयां झलणे दा वकत नी है मैंह्  गैं

सैः जे उमरां च तां बड्डे अपर अन्दरे ते बौणे

मुज्जो घृणा है देह्-देह्यां दे मुँह्यैं लगणे ते जेह्ड़े सत्ता ताईं भिड़दे रैह्न्दे

सैः जे कम्मे दीया गल्ला पर नी सिरफ बिल्लेयां दे नां पर बैह्सां करदे

 

बिल्लेयां पर बैह्सणे जो नी बचेह्या वकत मुन्जो व्हला

मुन्ज्जो सार चाहिदा

मेरी रूह काहळी पय्यीयो

 

मेरे डून्ने च चेरी ज्यादा नी है बचियो,

 

मैं एह्देयां लोक्कां गेड्डैं रैह्णा चाहन्दा जेह्ड़े इन्सान हन, ज्यादा इन्सान

सैः जे ठोकरां जो हास्से च ई उड़ाईन्दे,

कनै उन्हां ते दूर  जिन्हां यो जित्ता घमण्डी बणाई त्तेह्या

उन्हां ते दूर जो अपणे सुआरथे नै भरोह्यो

 

जरूरी तां सैः है जिस्ते जीवन हुन्दा सारथक

कनै मेरे ताईं काफी हन जरूरतां

 

हां मैं काह्ळिया च है

मैं जल्दबाजीया च है तिस सिद्दता नै जीणे यो जेह्ड़ी पक्कपणे ते औन्दी

 

बचीयां चेरियां बरबाद करने दा मेरा इरादा नी है

 

मुन्ज्जो बुसुआस है सैः बड़ियां बद्धिया हुंगिंयां हाल्ली तिक्कर  खाह्दीयाँ ते भी ज्यादा

मेरा मकसद है पौंह्चणा धुरे तिक्कर सन्तुष्ट

कनै मौज्जा नै अपणे प्यारेयां सौग्गी कनै अपणीया जमीरा सौग्गी

 

कन्फ्यूशियस बोल्दा : 'असां दींयां हैन दो जिन्दगियाँ

कनै दूईय्या दी सुरुआत हुन्दी जाह्लू तुसां जो अन्तर्गियान औन्दा

है तुसां व्हाल सिरफ इक्को जीवन'

पंंजाबी

ਪੱਕੀ ਉਮਰ ਦਾ ਕੀਮਤੀ ਸਮਾਂ

ਮੈਂ ਗਿਣੇ ਆਪਣੀ ਜਿੰਦਗੀ ਸੇ ਸਾਲ

ਤੇ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ

ਬਹੁਤ ਬੀਤੀ

ਥੋੜੀ ਜਿਹੀ ਬਚੀ

 

ਅਤੀਤ ਲੰਬਾ ਤੇ ਭਵਿੱਖ ਛੋਟਾ ਹੈ

ਲੱਗਿਆ ਜਿਵੇਂ ਉਹ ਬੱਚਾ ਜਿਸਨੂੰ ਮਿਲੀਆਂ

ਕੌਲੀ ਭਰ ਚੈਰੀਆਂ

ਪਹਿਲਾਂ ਤਾਂ ਖਾਂਦਾ ਗਿਆ

ਫਿਰ ਜਦੋਂ ਲੱਗਿਆ ਕਿ ਥੋੜੀ ਜਿਹੀਆਂ ਰਹਿ ਗਈਆਂ

ਤਾਂ ਟੁੱਕਣ ਲੱਗਿਆ ਸਵਾਦ ਲੈ ਲੈ ਕੇ

 

ਹੁਣ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਵਕਤ ਤੱਕ ਨਹੀਂ ਬਚਿਆ

ਔਸਤ ਦਰਜੇ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਨਿਪਟਣ ਦਾ

 

ਅਜਿਹੀਆਂ ਮਹਿਫਲਾਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਜਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ

ਜਿੱਥੇ ਸੜੇ ਭੁੱਜੇ ਫਿਰ ਰਹੇ ਨੇ ਹੰਕਾਰ

ਗਰੂਰ ਭਰਿਆਂ ਤੋਂ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਰਹਿੰਦਾ ਹਾਂ

ਜੋ ਸਭ ਤੋਂ ਕਾਬਿਲ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ

ਬਦਨਾਮ ਕਰ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ

 

 ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਥਾਂ ਹੜਪ ਲੈਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਨੇ

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲਲਚਾਉਂਦਾ ਹੈ

ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਅਹੁਦਾ ਲਿਆਕਤ ਤੇ ਕਿਸਮਤ

 

ਫਿਜੂਲ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਲਈ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਵਕਤ ਨਹੀਂ ਹੈ

ਜੋ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਨਹੀਂ

ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਜੀਵਨੀਆਂ ਤੇ ਚਰਚਾ ਕਰਨੀ ਬੇਕਾਰ ਹੈ

ਐਸੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਨਖਰੇ ਝੱਲਣ ਦਾ ਵਕਤ ਨਹੀਂ ਹੈ ਮੇਰੇ ਕੋਲ

ਜੋ ਉਮਰ ਵਿਚ ਤਾਂ ਵੱਡੇ ਪਰ ਅੰਦਰੋਂ ਬੌਣੇ

ਮੈਨੂੰ ਨਫ਼ਰਤ ਹੈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਲੱਗਣੋ

ਜੋ ਸੱਤਾ ਹਥਿਆਉਣ ਲਈ ਭਿੜਦੇ ਹਨ

ਜੋ ਕੰਮ ਦੀ ਗੱਲ ਤੇ ਨਹੀਂ

ਸਿਰਫ ਠੱਪਿਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਤੇ ਬਹਿਸ ਕਰਦੇ ਹਨ

 

ਠੱਪਿਆਂ ਤੇ ਬਹਿਸ ਲਈ ਵਕਤ ਨਹੀਂ ਮੇਰੇ ਕੋਲ

ਮੈਨੂੰ ਸਾਰ ਚਾਹਿਦਾ ਹੈ

ਮੇਰੀ ਰੂਹ ਜਲਦੀ ਵਿਚ ਹੈ

ਮੇਰੀ ਜੇਬ ਵਿਚ ਚੈਰੀਆਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਹੀਂ

ਮੈਂ ਐਸੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਕਰੀਬ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ

ਜੋ ਇਨਸਾਨ ਹੋਣ, ਜ਼ਿਆਦਾ ਇਨਸਾਨ

ਜੋ ਆਪਣੀਆਂ ਠੋਕਰਾਂ

ਹਾਸਿਆਂ ਵਿਚ ਉਡਾ ਦਿੰਦੇ ਨੇ

ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਜਿੱਤ ਨੇ

ਦੰਭੀ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ

ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਜੋ ਖ਼ੁਦ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਹੀ ਭਰੇ ਨੇ

 

ਜ਼ਰੂਰੀ ਉਹ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਜੀਵਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਸਾਰਥਕ

ਤੇ ਮੇਰੇ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਹੈ ਜ਼ਰੂਰਤ

 

ਹਾਂ ਮੈਂ ਜਲਦੀ ਵਿਚ ਹਾਂ

ਮੈਂ ਜਲਦਬਾਜੀ ਵਿਚ ਹਾਂ ਉਸ ਸ਼ਿੱਦਤ ਨਾਲ ਜਿਉਣ ਲਈ

ਜੋ ਸਿਰਫ਼ ਪਰਿਪੱਕਤਾ ਵਿਚੋਂ ਆਉਂਦੀ ਹੈ

 

ਬਚੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਚੈਰੀਆਂ ਬਰਬਾਦ ਕਰਨ ਦਾ

ਮੇਰਾ ਕੋਈ ਇਰਾਦਾ ਨਹੀਂ

 

ਮੈਨੂੰ ਯਕੀਨ ਹੈ ਉਹ ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਹੋਣਗੀਆਂ

ਹੁਣ ਤੱਕ ਜੋ ਖਾਧੀਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ

ਮੇਰਾ ਮਕਸਦ ਹੈ ਪਹੁੰਚਣਾ ਅੰਤ ਤੱਕ

ਸੰਤੁਸ਼ਟ ਅਤੇ ਮਜ਼ੇ ਨਾਲ

ਆਪਣੇ ਪਿਆਰਿਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਤੇ

ਆਪਣੀ ਜ਼ਮੀਰ ਦੇ ਨਾਲ

 

ਕਨਫਿਊਸ਼ਿਅਸ ਕਹਿੰਦਾ ਹੈ ਨਾ

‘ਸਾਡੀਆਂ ਨੇ ਦੋ ਜ਼ਿੰਦਗੀਆਂ

ਤੇ ਦੂਜੀ ਦਾ ਆਗਾਜ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ

ਜਦੋਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਹ ਇਲਹਾਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ

ਕਿ ਹੈ ਤੁਹਾਡੇ ਕੋਲ ਸਿਰਫ਼ ਇੱਕ ਹੀ ਜੀਵਨ’


हिन्दी 

पकी उमर का कीमती वक्त

मैंने गिने अपनी जिंदगी के साल

और इलहाम हुआ कि

बहुत बीती

थोड़ी बची

 

अतीत लंबा भविष्य छोटा है

 

लगा जैसे वो बच्चा जिसे मिली डलिया भर चेरी

पहले तो गटकता गया

फिर जब लगा थोड़ी ही बची हैं

टूंगने लगा स्वाद ले ले कर

 

अब मेरे पास वक्त बचा नहीं है औसत दर्जे की चीज़ों से निबटने के लिए

 

ऐसी बैठकों में जाना नहीं चाहता

जहां सूजे-भूंजे फिर रहे हों अहंकार

 

डाह भरों से परेशान रहता हूं

जो सबसे काबिल लोगों को बदनाम कर देना चाहते हैं

उनकी जगह हड़प लेना चाहते हैं

उन्हें ललचाता है उनका औहदा, लियाकत और किस्मत

 

फिजूल की बातों के लिए मेरे पास वक्त नहीं है

जो मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं

उनकी जिंदगियों पर चर्चा करना बेकार है

 

ऐसे लोगों की नजाकतों को संभालने का वक्त नहीं है मेरे पास

जो उमर में तो बढ़े पर नहीं कढ़े

मुझे नफरत है उनके मुंह लगने से

जो सत्ता के लिए भिड़ते रहते हैं

जो काम की बात पर नहीं सिर्फ बिल्लों के नाम पर बहस करते हैं 

 

बिल्लों पर बहस के लिए बचा नहीं वक्त मेरे पास

मुझे सार चाहिए।

 

मेरी रूह जल्दी में है ...

 

मेरी डलिया में चेरियां ज्यादा नहीं

 

मैं ऐसे लोगों के करीब रहना चाहता हूं जो इंसान हैं, ज्यादा इंसान

जो अपनी ठोकरों को हंसी में उड़ा देते हैं

और उनसे दूर जिन्हें उनकी जीत ने दंभी बना दिया है

उनसे दूर जो खुद-ही-खुद से भरे हैं

 

जरूरी वह है जिससे जीवन होता है सार्थक

और मेरे लिए काफी हैं जरूरियात !

 

हां मैं जल्दी में हूं

मैं जल्दबाजी में हूं उस सघनता से जीने में

जो सिर्फ परिपक्वता से आती है

 

बची हुई चेरियां बर्बाद करने का मेरा इरादा नहीं

 

मुझे यकीन है वे बहुत बढ़िया होंगी

अब तक जो खाईं उनसे ज्यादा

मेरा मकसद है पहुंचना अंत तक

संतुष्ट और मजे में

अपने प्यारों के साथ और अपनी जमीर के साथ

 

कन्फ्यूशियस कहता है न –

‘‘हमारी हैं दो जिंदगियां

और दूसरी का आगाज होता है

जब आपको इलहाम होता है

है आपके पास सिर्फ एक जीवन।’’


अंग्रेजी 

Valuable time of maturity

 I counted my years

and realized that

I have less time to live by,

than I have lived so far.

 

I have more past than future.

 

I feel like that boy who got a bowl of cherries.

At first, he gobbled them,

but when he realized there were only few left,

he began to taste them intensely.

 

I no longer have time to deal with mediocrity.

 

I do not want to be in meetings where flamed egos parade.

 

I am bothered by the envious,

who seek to discredit the most able,

to usurp their places, coveting their seats,

talent, achievements and luck.

 

I do not have time for endless conversations,

useless to discuss about the lives of others

who are not part of mine.

 

I no longer have the time to manage

sensitivities of people who despite their chronological age, are immature.

I hate to confront those that struggle for power,

those that ‘do not debate content, just the labels’.

 

My time has become scarce to debate labels,

I want the essence.

 

My soul is in a hurry …

 

Not many cherries in my bowl,

 

I want to live close to human people, very human,

who laugh off their own stumbles,

and away from those turned smug

and overconfident with their triumphs,

away from those filled with self-importance.

 

The essential is what makes life worthwhile.

And for me, the essentials are enough!

 

Yes, I’m in a hurry.

I’m in a hurry to live with the intensity that only maturity can give.

 

I do not intend to waste any of the remaining cherries.

 

I am sure they will be exquisite, much more than those eaten so far.

My goal is to reach the end satisfied

and at peace with my loved ones and my conscience.

 

And per Confucius “We have two lives

and the second begins when you realize you only have one.”    

अनुवादक 

तेज कुमार सेठी (पहाड़ी) अमरजीत कोंके (पंजाबी) अनूप सेठी (हिन्दी) 


5 comments:

  1. तिन्न भासां- तिन्न जणीयां
    प्हाड़ीया ह्माचली टोप्पी पैह्मनियो
    पंजाबीया पगड़ी लाह्यीयो लाल-सूह्यी
    हिन्दीया दा सिर अणढक्केया
    अंग्रेजीया दी कवता ते हिन्दीया च तुआरदीया फेरिया
    बाळां दा रङ्ग स्लेटी फिरीय्या
    पंजाबीया देरी नी लाई
    झट्ट पंजाबीया च रङ्गी ती
    प्हाड़ी वी बैह्ण ह्यी पंजाबीया दी
    प्हाड़ी कतांह् रैह् पचांह्
    तिसा वी तत्त- पड़त्तैं नुवादी त्ती पहाड़ीया च
    तिन्नों ई कट्ठीयाँ होई नै
    मस्कुड़ैणा लगी पेयीय्यां
    दिक्खा भला
    है कोई सक्क ?

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    1. तुसां खरी गल छेड़ी भासां भैणां दी।
      अप्पू चिएं मींह्जर पाणे दी।

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    2. कोई सक्क नी भाई साह्ब। बधिया नुवादियो कवता।

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  2. बड़ी बधिया कवता है। कुत्थु ते तोपी लैंदे। असां व्हाल इक ही जिंदगी है इसा गला दा असां सारयां जो पता है और समझदे बी पर अमल नीं होई पांदां।
    कवि मरियो अन्दरेदे जो साधूवाद कनैं तिनों अनुवादकां जो बधाई।

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  3. छैल़ कवता दे छैल़ बाँके सैह्ज सर्ल अनुवाद। पढ़ी नैं मजा आई गेआ । इक्की ते जादा भाषां च कुसी चीज्जा पढ़ने दा नंद भी बखरा ही औंदा। कुनी भी कोई कसर नी रखियो। मतियाँ मतियाँ बधाईयां।

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