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Friday, November 23, 2018

जाति व्यवस्थाः उदगम, विकास होर जाती रे अंता रा प्रश्न


अपणिया भासा च समाज दे बारे च, समाज दे विकासाा दे बारे च लेखां दे मार्फत जानकारी हासल करने दा अपणा ही मजा है। समीर कश्‍यप होरां इक लेखमाला जाति व्‍यवस्था दे विकास पर लिखा दे हन। 
इसा माला दा पैह्ला मणका अज पेस है 


जाति व्यवस्था क्या ही? एता रे बारे बिच जानणे होर समझणे कठे आसा जो ऐतिहासिक स्रोता री मदद लैणी पौहाईं। ऐतिहासिक स्रोत हुआएं पुरातात्विक, साहित्यिक होर मुद्रा (सिक्के) बगैरा। इन्हा बिच साहित्यिक स्रोत बी कई तरहा रे हुआएं। जिंहा ऐतिहासिक, धार्मिक, लोककथा, कहावता होर लोक गीत बगैरा। जाति रे बारे बिच पैहला लिखित प्रमाण मिलहां ऋग्वेदा बिच। हालांकि ऋग्वेद लिपिबद्ध बादा बिच हुआ पर एता री ऋचा, स्मृतियां होर श्लोक 1700 ले 1100 ई. पू. रे बिच रचे गए। ऋग्वेद 10 खंडा बिच हा पर ये क्रालानुक्रमा बिच नी हा। मतलब कई बाद रे खण्डा बिच पैहलके वक्ता री ऋचा बी मिली सकाहीं।
 
ऋग्वेदिक काला (1700-1100 ई. पू.) जो प्रारंभिक वैदिक काल बी बोल्हाएं। ऋग्वेदा बिच पैहली बार 1100 ई. पू. री ऋचा रे एकी हिस्से बिच वर्णाश्रमा रा जिक्र आवहां पूरष सूक्ता रे 10वें मण्डला बिच। जेता बिच बोल्या जाहां भई चार वर्ण हे। ब्राह्ण, राजन्य, विष होर शुद्र। पर आजकाले री जाती व्यवस्था री विशेषता इन्हा वर्णा बिच नीं थी। आजकाले जाती व्यवस्था री विशेषता ही सजातीय ब्याह, पुश्तैनी श्रम विभाजन होर अश्पृश्यता। इन्हा तीन विशेषता मंझ सजातीय ब्याह अझी बी काफी मजबूत हा जबकि पुश्तैनी श्रम विभाजन होर अश्पृश्यता काफी हदा तका कमजोर हुई चुकीरी। पर ऋग्वैदिक काला बिच इन्हा विशेषता रा जिक्र नीं आउंदा होर ना हे जाती शब्दा रा जिक्र आवहां।
 
जाती शब्दा रा पैहला जिक्र 200 ई. पू. बिच पाणिनी रे अष्टाध्यायी बिच आवहां। पर इथी वर्ण और जाती दोनों शब्दा रा प्रयोग समानार्थी रे रूपा बिच हुइरा। एस हे समय रे दौरान वारहमिहिरा री बृहत संहिता बिच भी उल्लेख आवहां। पर इथी बी वर्ण होर जाती रा समानार्थी रे रूपा बिच प्रयोग हुईरा। पैहली बार याज्ञवल्क्य स्मृति बिच जाती होर वर्ण शब्दा रा एकी जगहा हे अलग इस्तेमाल हुईरा। पर 200 ई.पू. तका वर्णा बिच सजातीय जातियां री व्यवस्था नीं बणीरी थी।
कॉमन इरा (सीई) ले पैहले तक वर्ण व्यवस्था बिच भीतरी गतिकी काफी थी। उपरले वर्ण ब्राह्मण होर क्षत्रिय आनुवांशिक रूपा ले बंद नहीं हुईरे थे यानि जिनोलोजिकली ओपन थे। परिवारा रा बडा भाई ब्राह्मण हुआं था ता छोटा क्षत्रिय। देवति ब्राह्मण था ता शान्तनु क्षत्रिय, देवश्रवश होर देववास, सुमित्र होर देवोदास भाई हुणे रे बावजूद ब्राह्मण होर क्षत्रिय थे।
ऋग्वेदा बिच दासी पुत्र ब्राह्मणा रा उल्लेख बी हा। दासी रा मतलब तेस वक्त गुलाम नीं था। बल्कि दासी पुत्र तिन्हा जो बोल्या गया ज्यों वैदिक आर्या ले अलग थे। इथी रे मूल निवासी कबीले वैदिक आर्या ले पुराणे आर्या के मिश्रित हुई गईरे थे। ऋग्वेदा बिच दासी पुत्रे बौहत सारी ऋचा बी लिखिरी। ऋग्वेदा बिच ब्राह्मण कवष दाषी पुत्र इलुषा रा बेटा था। महीदास बी दास कबीले रे थे। ऐतरेय ब्राह्मणा रा रचयिता महीदासा जो मन्या जाहां। तिन्हा जो बी ब्राह्मणा रा दर्जा दितिरा था। एहडे दास कबीले रे मुखिये रा जिक्र बी आवहां जिन्हें ब्राह्मणा जो संरक्षण दितया था। मुखिये रा नावं हा बलिभूत तरूस्क होर ब्राह्मणा रा नावं हा वास अश्व। ऋग्वेदा रे 8वें खण्डा री 46 श्रुति अश्वे रची थी।
 
दिवोदास प्रमुख क्षत्रिय था होर दास कबीले ले हे था। तेस जो क्षत्रिय री भूमिका दितीरी थी। ऋग्वेदा रे खण्ड 1,4 होर 6 बिच जिक्र आवहां भई वैदिक आर्यां रे प्रमुख इहलौकिक देवता इन्द्रे दिवोदासा री मददा के शम्बरा रे खिलाफ युद्ध लडया था। शम्बर बी दास कबीले रा था। दो दास कबीले लडी करहाएं थे। तेता बिच वैदिका आर्यां रे कबीले दिवोदासा री मदद किती होर दिवोदासा जो क्षत्रिय रा दर्जा दितेया। ऋग्वैदिक काला री समाप्ती रे दौरा बिच समाजा मंझ तेस वक्ता रे वर्ण विभाजना रा बीज पैदा हुंदे लगी गईरे थे। वर्णाश्रमा रा जिक्र तेस काला रे वर्ग विभाजना रा प्रतिनिधित्व करहां। वर्ण आपणे जन्मकाला बिच वर्ग हे था होर असलियता बिच वर्ण अर्थव्यवस्था रे वर्ग विभाजना जो ही दसी करहां था। वर्गा री आपसी गति जो पूरी तरहा के रोकया नीं गईरा था क्योंकि अझी वर्ग पूरी तरहा के नीं बणीरे थे पर बणने री प्रक्रिया मंझ थे। एस समय पवित्र-अपवित्र (प्योरिटी एंड पोलुशन) रा कोई अर्थ नीं था। रक्त शुद्धता रा कोई मतलब नीं था। दासी पुत्र क्षत्रिय बणी जाहें थे होर तिन्हा रे वैवाहिक रिश्ते बी हुई जाहें थे। 












(ये लेख मजदूर बिगूल अखबारा रे संपादक अभिनव सिन्हा रे यू टयूब लैक्चरा ले लितिरे नोट्स पर आधारित हा।)
क्रमशः.....

2 comments:

  1. दयार होर अनूप सेठी जी रा लेख प्रकाशित करने कठे हार्दिक आभार, धन्यावाद होर सलाम। दयारा बिच लेखा रे प्रकाशित हुणे ले मंडयाली बिच लिखदे रैहणे रा विश्वास होर ज्यादा पुख्ता हुआ। एक बारी भी के तुसारा बौहत-2 धन्यावाद

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    1. तुसां दी पूरी लेखमाला छपणी ता दयारे दी नुहार होर निखरी नै दुह्सणी। धन्‍नवाद।

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