पहाड़ी भाषा दी नौई चेतना .

Thursday, January 18, 2024

गल सुणा : सोशल मीडिया च हिमाचली

 


अजकला सोशल मीडिया पर कई कुछ चली रैंह्दा। रात दिन। मता किछ छडणे आळा, थोड़ा जेह्या दिखणे सुणने लायक। हत्थे च मोआइल। मोबाइले च इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब। मैं जाई पूज्या इक्की चैनला पर, जिसा दानांहै-  द हिमाचली पॉडकास्ट। तिस च मता किछ है। थोड़ा जेह्या नजारा तुसां दी दिक्खी लेया । 


सोशल मीडिया पर पॉडकास्ट एक नौंआ माध्यम है। उपदेश होरां यूट्यूब पर इक चैनला साही देह-देह्या ई इक पॉडकास्ट चलांदे- नां है द हिमाचली पॉडकास्ट। सैह् इसा चैनला पर हिमाचल दे लग-लग विधां दे कलाकारां दे लम्मे-लम्मे इंटरव्यू लैंदे। अजकला सोशल मीडिया पर रीलां कनैं शॉर्ट्स चलदे जेह्ड़े छोट-छोटे वीडियो हुंदे। पॉडकास्ट पर लम्मे, टिकुआं, सारिया जिंदगिया समेटणे आळे इंटरव्यू बड़े छैळ लगदे। इस च सिर्फ कलाकारां जो इ नीं, दूएयां पासेयां च नां कमाणे आळयां जो भी सददे। मैं इसा चैनला पर कुछ वीडियो पिछलयां दिनां दिक्खे। कल पहाड़ी स्टेंड अप कमेडियन विशाल शर्मा नै इक्क घंटे दी गलबात सुणी। 

विशाल शर्मा इंस्टाग्राम पर इनसेन-कॉमिक नाएं दे छोटे-छोटे ड्रामे बणांदे। सैह् इस च कइयां किरदारां दे रोल नभांदे। 

हिमाचले दे कलाकार अजकल सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरीके नै अपणी कला दस्सा दे हन। गौर करने आळी गल है भई सैह् अपणे वीडियो हिंदी, पहाड़ी या मिली-जुली हिंपहाड़ी च बणांदे। एह्थी अपणी मतलब हिमाचली किस्मा दी हिंदी कन्नां च पौंदी, अपणिया बोलिया दे लैह्जे च मुड़कोइयो। कवि अजेय देह-देहिया भाषा दी खूब पैरवी करदे। 

असां आम तौर पर बड़े परेशान रैंह्दे भई हिमाचली लोग पहाड़ी या हिमाचली भाषा या अपणी बोली नीं बोलदे। पर जनाब, सोशल मीडिया पर जेह्ड़े नौइयां किस्मां दे प्रोग्राम चलेयो, तिन्हां च अपणी बोली धड़ल्ले नै बोली जा दी। इसा गल्ला ते इक उम्मीद जगदी है। इन्हां कलाकारां दे फालोअर्स भी मते हन। गौर करने आळी गल एह् भी है भई साहित्य जादा लोकां तक नीं पूजदा। इस करी नै साहित्य आळे बड़ी चिंता करदे। जे नौंए तौर-तरीकेयां नैं भाषा दूर-दूर कनै मतेयां लोकां तक पूजा दी है ता एह् खरी गल है। इसते एह् भी लगदा भई साहित्य आळेयां जो आत्ममंथन करना चाहिदा। 

जयसिंहपुरे दे मूल निवासी विशाल शर्मा पेशे ते इंजीनियर हन कनै दिलिया नौकरी करदे। पहाड़िया च स्टैंड अप कॉमेडी करदे। स्टैंड अप कॉमेडी नौंए जमाने दी कला है। पुराणयां जमानेयां च लोक कलाकार कनै खबरै मनसुखा इा रीसां लांदा हुंगा। बीह्यां क सालां ते, जदूं ते टेलिवीजने पर लाफ्टर चैंलेंज देहे प्रोग्राम आए, स्टेंड अप कॉमेडियनां दा नौंआ अध्याय शुरु होया। बंगलौर, हैदराबाद, मुंबई, गुड़गांव जेह् शैह्रां च अंग्रेजिया च भी कॉमेडियां होआ दियां। हुण असां दिया पहाड़िया च एह् शुरुआत होणा लगी है। लोक दिखणा औंदे, सैह् भी टिकटां खरीदी। एह् खुशिया दी गल है। विशाल शर्मा होरां दस्सेया, तिन्हां दे हमीरपुर, धर्मशाला, कांगड़ा, चंडीगढ़ दे शो हाउसफुल रह्यो। मजेदार गल एह् है भई शो कुसा जगह करना है, किा करना है, टिकट बुकमाईशो पर बेचणे हन, एह् सारे कम विशाल अप्पू करदे। मतलब कलाकार अपणी कला भी दसह्गा कनै दसणे दा इंतजाम भी अप्पू ही करह्गा। एह् नौंआ तरीका है। साहित्य आळे इा कम करने दे बारे च नीं सोचदे। तिन्हां ते एह् चौधरां नीं हुंदियां। साहित्य आळे इसजो कारोबार गलांदे। कवि, कहाणीकार इसा उमीदा च रैंह्दा भई कोई सादा औऐ ता सैह् अपणियां रचनां पेश करह्गे। पर इंतजाम कुनी करना भाई? दर्शकां श्रोतेयां कुण सदह्गा। एह् ठीक है नौंए माध्यम खर्चीले भी हन। हॉल, माइक वगैरा कराए पर लैणा पौंदे। साहित्य आळे स्कूलां कालजां देयां कमरेयां च ही बही लैंदे। पहाड़ी कलाकारां कनै नौंए कलाकारां जो प्रायोजक ता मिलदा नीं। तिन्हां खर्चा कढणा ही है। वैसे साहित्य आळे सोची सकदे भई इस तरीके नै टिकट बेची नै कवि सम्मेलन भी होई सकदे? 

विशाल शर्मा दियां इंस्टाग्राम दियां कुछ रीलां मैं दिखियां। सैह् ठेठ पहाड़ी बोलदे। जेह्ड़े लोक असां जिंदे-जागदे दिक्खेयो- मा-बुढ़े, दादा-दादी, भाई-भैण, बुआ-जीजा वगैरा। विशाल इन्हां दी रीस लांदे। तिन्हां दे एकल अभिनय करदे। बड़ा खरा लग्गा जाह्लू तिन्हां दस्सेया भई सैह् मेहनत करने पर जादा जोर दिंदे। जेह्ड़ा प्रोग्राम तिन्हां करना होऐ, पैह्लें तिह्दी स्क्रिप्ट तयार करदे, रिहर्सल करदे, तां फिरी शो करदे। तिन्हां एह् भी दस्सेया भई सैह् कामयाबी-नाकामयाबी दी परवाह नीं करदे। बस मेहनत करदे रेह्या। तिन्हां दा एह् दृष्टिकोण बड़ा सकारात्मक है। इस करी नै तिन्हां दा कलाकार भी चमका दा है।     


उपदेश और विशाल शर्मा 


द हिमाचली पॉडकास्ट पर विशाल शर्मा के बहाने से 

सोशल मीडिया पर पॉडकास्ट एक नया माध्यम है। उपदेश यूट्यूब पर एक चैनल की तरह ऐसा ही एक पॉडकास्ट चलाते हैं- नाम है द हिमाचली पॉडकास्ट। वे इस चैनल पर हिमाचली के अलग अलग विधाओं के कलाकारों के लंबे-लंबे इंटरव्यू लेते हैं। आज सोशल मीडिया में रीलें और शॉर्ट्स चलते हैं, जो अपेक्षाकृत छोटे वीडियो होते हैं। पॉडकास्ट में लंबे ठहरे हुए पूरे जीवन वृत्त को समेटने वाले इंटरव्यू देखना प्रीतिकर अनुभव है। इसमें सिर्फ कलाकार ही नहीं दूसरे क्षेत्रों में नाम कमा रहे लोगों को भी बुलाया जाता है। मैंने हाल ही में इस चैनल पर कुछ एक वीडियो देखे हैं। कल पहाड़ी के स्टैंड अप कॉमेडियन विशाल शर्मा का एक घंटे का इंटरव्यू देखा सुना।

विशाल शर्मा इंस्टाग्राम पर इनसेन-कॉमिक नाम से छोटे-छोटे मिमिक बनाते हैं। एक ही अभिनेता यानी वे खुद कई पात्रों का अभिनय करता हैं।

हिमाचल प्रदेश के कलाकार सोशल मीडिया पर तरह-तरह से अपनी प्रतिभा दिखाने लगे हैं। गौरतलब बात यह है कि वे अपने वीडियो हिंदी में या पहाड़ी में या मिली जुली भाषा में बनाते हैं। यहां अपनी यानी हिमाचली तरह की हिंदी और अपनी बोली की लचक वाली हिंदी सुनने को मिलती है। कवि अजेय इस तरह की भाषा की खूब पैरवी करते हैं।    

हम लोग प्राय चिंतित रहते हैं कि हिमाचली लोग पहाड़ी भाषा या हिमाचली भाषा या अपनी बोलियों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सोशल मीडिया पर चल रहे नई तरह के कार्यक्रम इस धारणा को झुठला देते हैं। इन कार्यक्रमों से एक उम्मीद बंधती है। इन कलाकारों के देखने सुनने वाले या फॉलोअर्स भी बहुत हैं। गौरतलब यह भी है कि साहित्य की पहुंच लोगों तक कम है इसलिए साहित्य से जुड़े हुए लोग ज्यादा चिंतित रहते हैं। अगर नए माध्यमों को पहाड़ी भाषा में दूर-दूर तक और बहु संख्या में सुना जा रहा है तो यह एक शुभ लक्षण है। साथ ही यह साहित्य से जुड़े लोगों के लिए आत्ममंथन का मौका भी देता है।

जयसिंहपुर के मूल निवासी विशाल शर्मा पेशे से एक इंजीनियर हैं और दिल्ली में नौकरी करते हैं।  पहाड़ी में स्टैंड अप कॉमेडी करते हैं। स्टैंड अप कॉमेडी नए जमाने का माध्यम है। पुराने जमाने में लोक कलाकार या मनसुखा शायद इस तरह का काम करता था। पिछले दो दशकों से, जब से टेलीविजन में लाफ्टर चैलेंज जैसे कार्यक्रम आए, स्टैंड अप कॉमेडियनों का नया अध्याय शुरू हुआ है। बैंगलोर, हैदराबाद, मुंबई, गुड़गांव जैसे शहरों में अंग्रेजी के भी स्टैंड अप कॉमेडियन हैं। अब पहाड़ी में यह शुरुआत हो रही है। लोग उन्हें देखने आते हैं, वह भी टिकट खरीद कर; यह और भी सुखकर है। विशाल शर्मा ने बताया कि हमीरपुर, धर्मशाला, कांगड़ा, चंडीगढ़ में उनके शो हाउसफुल रहे हैं।

मजेदार बात यह है कि शो कहां करना है, कैसे करना है, टिकट बुकमाईशो के जरिए बेचे जाने हैं, यह काम विशाल शर्मा खुद ढूंढ़ कर, पता लगाकर करवाते हैं। मतलब कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन भी करेगा और उसे दिखाने का इंतजाम भी करेगा। यह एक नया तरीका है। साहित्य से जुड़े लोग इस तरह से काम करने के बारे में न सोचते हैं, न कर पाते हैं। इस तरह के काम को व्यवसाय माना जाता है। कवि, कहानीकार इस उम्मीद में रहते हैं कि कोई उन्हें बुलाए और वे अपनी रचनाएं पेश  करें। लेकिन इंतजाम कौन करेगा? दर्शक श्रोता को कौन बुलाएगा? नए माध्यम साहित्य की तुलना में खर्चीले भी हैं! हॉल का किराया होता है, साउंड सिस्टम का किराया होता है, दूसरी तरह के इंतजाम के खर्च होते हैं। पहाड़ी के लोगों को या नए कलाकारों को कोई प्रायोजक तो मिलेगा नहीं। इसलिए स्वावलंबी होने का यह एक बढ़िया तरीका है। साहित्य के लोगों के लिए एक सीख है कि क्या इस तरह से कवि सम्मेलन भी किया जा सकते हैं?

विशाल शर्मा की इंस्टाग्राम की रीलें मैंने देखी हैं। ठेठ पहाड़ी में बोलते हैं। जो चरित्र हमने अपने जीवन में देखे हैं- माता-पिता, दादा-दादी, भाई-बहन, बुआ-जीजा आदि, उनसे जुड़े हुए प्रसंगों का वे एकल अभिनय करते हैं। यह जानकर अच्छा लगा कि वे मेहनत पर बहुत बल देते हैं। जो प्रोग्राम उन्हें करना है उसके लिए पहले स्क्रिप्ट तैयार करते हैं, रिहर्सल करते हैं फिर जाकर दिखाते हैं। वे यह भी कहते हैं कि सफलता असफलता से प्रभावित नहीं होते। वे मेहनत करते रहने में यकीन करते हैं। अपनी कला के प्रति यह दृष्टिकोण बहुत ही सकारात्मक है जो उन्हें बेहतर कलाकार भी बनता है। 

The Himachali Podcast

विशाल शर्मा 


2 comments:

  1. अच्छा लगा अरसे बाद गल सुणा पढ़ना । कोई वीडियो लिंक भी डालिए पोडकास्ट का

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    1. पढ़ने के लिए धन्यवाद। लिंक पोस्ट के नीचे दिया है यानी पहाड़ी के नीचे हिंदी है, उसके बाद एस डी कश्यप और विशाल शर्मा से गलबात के लिंक।एक लिंक यहां भी दे रहा हूं।
      https://www.youtube.com/@TheHimachaliPodcast

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