पहाड़ी भाषा दी नौई चेतना .

Monday, June 6, 2022

यादां फौजा दियां

 

जियां दियां जिंदगियां दे बारे च असां जितणा जाणदेतिसते जादा जाणने दी तांह्ग असां जो रैंह्दी है। रिटैर फौजी भगत राम मंडोत्रा होरां फौजा दियां अपणियां यादां हिंदिया च लिखा दे थे। असां तिन्हां गैं अर्जी लाई भई अपणिया बोलिया च लिखा। तिन्हां स्हाड़ी अर्जी मन्नी लई। हुण असां यादां दी एह् लड़ी सुरू कीती हैदूंई जबानां च। पेश है इसा लड़िया दा बीह्उआं मणका।


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समाधियाँ दे परदेस  

फौज च कमीशन न पाई सकणे दी वजहाँ च मेराऊंचाई ते डरइक खास वजह रही। इस गल्ल दा पता मिंजो ताह्लू चल्लेया जाह्लू जूनियर कमीशन्ड अफसर बनणे ते परंत मेरी नियुक्ति इकसर्विसेज सिलेक्शन बोर्डजूनियर एग्जामिनरदे तौर पर होई।  मैं तिसा नियुक्तिया च 1993 ते लई करी 1997 तिकर कम्म कित्ता। मैं तित्थु नायब सूबेदार दे रैंक च गिया था कनै तित्थु ही मिंजो सूबेदार दे रैंक दा प्रमोशन  मिल्ला था।  तिस नियुक्ति ते पहलैं मिंजोरक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानदिल्ली च थोड़े जेहे समैं ताँईं इक ट्रेनिंग ताँईं चुणेया गिया था। 

फौज च सारेयाँ अफसराँ जो  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डदे इंटरव्यू ते होई करी गुजरना पोंदा है।  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड’, इंटरव्यू करी नै, सेना हेडकुआटर ते फौज च कमीशन लैणे ताँईं काबिल उम्मीदवाराँ दी सिफारिश करदे हन्न कनै सेना हेडकुआटर मेरिट दे मुताबिक तयशुदा गिणती च उम्मीदवाराँ जो ट्रेनिंग ताँईं अकादमियाँ च भेजदे हन्न। 

तिस बग्त एह् इंटरव्यू, उम्मीदवाराँ देसर्विसेज सिलेक्शन बोर्डच पोंह्चणे दे दिनें जो छड्डी करी, चार दिनाँ तिकर चलदा था। तिन्हाँ चार दिनाँ जो इस तरह ते जाणेया जाँदा था - साइकोलोजिस्ट्ज डे , ग्रुप टेस्टिंग ऑफिसर्स - फर्स्ट डे, ग्रुप टेस्टिंग ऑफिसर्स - सेकंड डे कनै कॉन्फ्रेंस डे। 

तिस बग्त दे उम्मीदवाराँ जो दो खास हिस्सेयाँ च बंडेया जाई सकदा था। पहले हेस्से च सैह् उम्मीदवार ओंदे थे जेह्ड़े संघीय लोक सेवा आयोग दा लिखित इम्तिहान पास करने ते परंत  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डच भेजे जाँदे थे। तिन्हाँ उम्मीदवाराँ दासर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड, सुरूआती स्क्रीनिंग कित्ते बगैर, चार दिन चलणे वाळा इंटरव्यू करना होंदा था। दूजे हेस्से च सैह् उम्मीदवार ओंदे थे जेह्ड़े संघीय लोक सेवा आयोग दा लिखित इम्तिहान पास कित्ते बगैर  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डच इंटरव्यू ताँईं भेजे जाँदे थे। तिन्हाँ उम्मीदवाराँ दीसर्विसेज सिलेक्शन बोर्डच सुरूआती स्क्रीनिंग कित्ती जाँदी थी।  सैह् स्क्रीनिंग   'साइकोलोजिस्ट्ज डे'  दी सुरूआत च होंदी थी। तिस बग्त सैह् स्क्रीनिंग, इंटेलिजेंस टेस्ट स्कोर दे आधार पर कित्ती जाँदी थी कनै इंटेलिजेंस टेस्ट  जूनियर एग्जामिनर  ही लैंदा था। 

हुण सुणने च ओंदा है कि सारेयाँ उम्मीदवाराँ दी सुरूआती स्क्रीनिंग कित्ती जाँदी है कनैसर्विसेज सिलेक्शन बोर्डदा इंटरव्यू चार दिन दे बजाय पंज दिन तिकर चलदा है।  सुरूआती स्क्रीनिंग दा फॉर्मेट भी बदळोई गिह्या है। 

सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डकमीशन दे उम्मीदवाराँ च 15 गुणां दी परख करदे हन्न। इन्हाँ 15 गुणां जो चार हिस्सेयाँ च बंडेया जाँदा है जेह्ड़े इस तरहाँ हन्न :- 

पहला हेस्सा - योजना कनै संगठन (Factor : Planning & Organizing) 

1.    असरदार बुद्धि (Effective Intelligence)

2.    तर्क बुद्धि (Reasoning Ability)

3.    आयोजन दी लियाकत (Organizing Ability)

4.    अभिव्यक्ति दी ताकत (Power of Expression) 

दूजा हेस्सा - सामाजिक समायोजन (Factor - Social Adjustment)

 5.    सामाजिक अनुकूलन (Social Adaptability)

6.    सहयोग (Cooperation)

7.   जिम्मेदारी दी भावना (Sense of Responsibility) 

तीजा हेस्सा - सामाजिक प्रभावशीलता (Social Effectiveness) 

8.    पहल (Initiative)

9.    आत्मविश्वास (Self Confidence)

10.  फैसला लैणे दी स्पीड (Speed of Decision)

11.  ग्रुप जो प्रभावित करने दी काबिलियत (Ability to Influence the Group)

12.   जीवंतता (Liveliness) 

चौथा हेस्सा - गतिशीलता/क्रियाशीलता (Dynamic) 

13.   चित्त दी मजबूती (Determination)

14.   हौंसला (Courage)

15.   सहनशक्ति (Stamina) 

चौथे हेस्से च ओणे वाळे गुण इक फौजी अफसर ताँईं बड़े जरूरी होंदे हन्न - खास करी नै हौंसला। सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड च ग्रुप टेस्टिंग अफसर दे टेस्ट च बर्मा ब्रिज नाँ दी इक रुकावट जो पार करना होंदा है। दो रुक्खाँ कन्नै काफी उच्चाई पर बन्हियाँ दो रस्सियाँ दा पुळ बणेह्या होंदा है। अपणे उच्चाई दे डर दी वजह ते मैं जाह्लू तिस पुळ जो पार करदा था ताँ ग्रुप टेस्टिंग अफसर जो मेरा डर साफ-साफ नजर आई जाँदा था। इस टेस्ट ते ग्रुप टेस्टिंग अफसर उम्मीदवाराँ दा हौंसला नापदे हन्न।  

सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड च इन्हाँ 15 गुणां दी परख तिन्न अफसर अपणे-अपणे तरीके कन्नै करदे हन्न। इक अफसर उम्मीदवाराँ कन्नै गल्लबात करी नै तिस च इन्हाँ गुणां जो टोंह्दा है। तिस अफसर जोइंटरव्यूइंग अफसरगलाँदे हन्न। आमतौर पर इक बोर्ड च दोइंटरव्यूइंग अफसरहोंदे हन्न जेह्ड़े बोर्ड दे प्रेजिडेंट कनै डिप्टी प्रेजिडेंट भी होंदे हन। तिन्हाँ दे रैंक तिस बग्त सिलसिलेवार ब्रिगेडियर कनै कर्नल होंदे थे। 

दूजा अफसर उम्मीदवार दे लिखित जवाबाँ जो पढ़ी नै तिस च इन्हाँ 15 गुणां दी मात्रा नापदा है। तिस अफसर जो साइकोलोजिस्ट बोलदे हन्न। एह् आमतौर पर सिविलियन साइंटिस्ट होंदे हन्न। 

तीजा अफसर उम्मीदवार ते इक खासतौर पर बणेह्यो मैदान च किह्ले कनै ग्रुप च कम्म करुआँदा है, तिसते लेक्चर दुआँदा है, ग्रुप प्लानिंग कनै ग्रुप डिस्कशन करुआई नै तिसजो जाँचदा है। इस अफसर जोग्रुप टेस्टिंग अफ़सरग्लाँदे हन्न। एह् अफसर तिस बग्त मेजर कनै लेफ्टिनेंट कर्नल दे रैंक दे होंदे थे। 

एह् सारे अफसर इक गूह्ड़ी ट्रेनिंग ते गुजरी नै आह्यो होंदे हन्न कनै अपणे कम्म च माहिर होंदे हन्न। इस लई चुणने दी कारबाई च गलती होणे दी गुंजाइश बड़ी घट होंदी है। 

सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डच गुजरे मेरे तिन्न साल, मेरी फौजी जिंदगी दे सुनहरे पल थे। मिंजो उम्मीदवाराँ कन्नै इंटरेक्शन करी नै बड़ा खरा लगदा था खास करी नै एनडीए दे जोशीले कैंडिडेट्स कनै मिली करी मेरा भी उत्साह बद्धी जाँदा था। 

 

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समाधियों के प्रदेश में (बीसवीं कड़ी) 

सेना में कमीशन न पा सकने की वजहों में मेराऊंचाई से डरएक खास वजह रही। इस बात का पता मुझे तब चला जब जूनियर कमीशन्ड अफसर बनने पर मेरी नियुक्ति एकसर्विसेज सिलेक्शन बोर्डमेंकनिष्ठ परीक्षकके तौर पर हुई।  मैंने उस नियुक्ति में 1993 से लेकर 1997 तक काम किया। मैं वहाँ नायब सूबेदार के रैंक में गया था और वहीं मुझे सूबेदार के रैंक में पदोन्नति मिली थी।  उस नियुक्ति से पहले मुझेरक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानदिल्ली में अल्पावधि के प्रशिक्षण के लिए चुना गया था। 

सेना के सभी अफसरों को  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डके साक्षात्कार से हो कर गुजरना पड़ता है।  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डसाक्षात्कार कर के सेना मुख्यालय से सेना में कमीशन के योग्य अभ्यर्थियों की अनुशंसा करते हैं और सेना मुख्यालय मेरिट के आधार पर निर्धारित संख्या में अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के लिए अकादमियों में भेजते हैं। 

उस समय ये साक्षात्कार, अभ्यर्थियों केसर्विसेज सिलेक्शन बोर्डमें पहुंचने के दिन को छोड़कर, चार दिन तक चलता था। उन चार दिनों को इस तरह से जाना जाता था - साइकोलोजिस्ट्ज डे , ग्रुप टेस्टिंग ऑफिसर्स - फर्स्ट डे, ग्रुप टेस्टिंग ऑफिसर्स - सेकंड डे और कॉन्फ्रेंस डे। 

उस समय के अभ्यर्थियों को दो मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता था। पहले वर्ग में वह प्रत्याशी आते थे जो संघीय लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा पास करने के उपराँत  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डमें भेजे जाते थे। उन प्रत्याशियों कासर्विसेज सिलेक्शन बोर्डमें, प्रारंभिक स्क्रीनिंग किए बिना, चार दिन चलने वाला साक्षात्कार करना होता था। दूसरे वर्ग में वह प्रत्याशी आते थे जो संघीय लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा पास किए बिना  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डमें साक्षात्कार हेतु भेजे जाते थे।  उन प्रत्याशियों कीसर्विसेज सिलेक्शन बोर्डमें प्रारंभिक स्क्रीनिंग की जाती थी। वह स्क्रीनिंग   'साइकोलोजिस्टज डे' की शुरुआत में की जाती थी। उस समय वह स्क्रीनिंग, इंटेलिजेंस टेस्ट स्कोर के आधार पर की जाती थी और इंटेलिजेंस टेस्ट  कनिष्ठ परीक्षकद्वारा लिया जाता था। 

सुना है अब सभी उम्मीदवारों की प्रारंभिक स्क्रीनिंग की जाती है औरसर्विसेज सिलेक्शन बोर्डका साक्षात्कार चार दिन के बजाय पाँच दिन तक चलता है।  प्रारंभिक स्क्रीनिंग का प्रारूप भी बदल गया है। 

सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डकमीशन के अभ्यर्थियों में 15 गुणों की परख करते हैं। इन 15 गुणों को चार घटकों में रखा जाता है जो इस प्रकार से हैं:- 

पहला घटक - योजना और संगठन (Factor : Planning & Organizing) 

1.    प्रभावी बुद्धि (Effective Intelligence)

2.    तार्किक क्षमता (Reasoning Ability)

3.    आयोजन क्षमता (Organizing Ability)

4.    अभिव्यक्ति की शक्ति (Power of Expression) 

दूसरा घटक - सामाजिक समायोजन (Factor - Social Adjustment) 

5.    सामाजिक अनुकूलन (Social Adaptability)

6.    सहयोग (Cooperation)

7.    जिम्मेदारी की भावना (Sense of Responsibility) 

तीसरा घटक - सामाजिक प्रभावशीलता (Social Effectiveness) 

8.    पहल (Initiative)

9.    आत्मविश्वास (Self Confidence)

10.  निर्णय लेने की गति (Speed of Decision)

11.  समूह को प्रभावित करने की क्षमता (Ability to Influence the Group)

12.   जीवंतता (Liveliness) 

चौथा घटक - गतिशीलता/क्रियाशीलता (Dynamic) 

13.   चित्त की दृढ़ता (Determination)

14.   साहस (Courage)

15.   सहनशक्ति (Stamina) 

चौथे घटक में आने वाले गुण एक सैनिक अधिकारी के लिए अति आवश्यक होते हैं, विशेष कर साहस।  सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड में ग्रुप टेस्टिंग अफसर के टेस्ट के अंतर्गत बर्मा ब्रिज बाधा को पार करना होता है। दो पेड़ों से काफी ऊंचाई पर  दो रस्सियों का पुल बना होता है। अपने ऊंचाई के डर की वजह से मैं जब इस पुल को पार करता था तो परीक्षक को मेरा डर  साफ-साफ नजर आ जाता था। इस टेस्ट से ग्रुप टेस्टिंग अफसर द्वारा अभ्यर्थी केसाहसको नापा जाता है। 

सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड में इन 15 गुणों की परख तीन अधिकारी अपने-अपने ढंग से करते हैं। एक अधिकारी अभ्यर्थी से बातचीत करके उसमें इन गुणों की टोह लेता है। उस अधिकारी कोइंटरव्यूइंग अफसरकहते हैं। आमतौर पर एक बोर्ड में दोइंटरव्यूइंग अफसरहोते हैं जो बोर्ड के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष भी होते हैं। उनके रैंक उस समय क्रमशः ब्रिगेडियर और कर्नल होते थे। 

दूसरा अधिकारी अभ्यर्थी द्वारा लिखे गए जवाबों को पढ़ कर उसमें इन 15 गुणों की मात्रा को जाँचता है। उस अधिकारी को साइकोलोजिस्ट कहते हैं। ये प्रायः सिविलियन साइंटिस्ट होते हैं। 

तीसरा अधिकारी अभ्यर्थी से विशेष प्रकार से बने मैदान में एकल और समूह में काम करवाता है, उससे लेक्चर दिलवाता है, समूह नियोजन और समूह चर्चा करवा कर उस का गुणांकन करता है। इस अधिकारी कोग्रुप टेस्टिंग अफ़सरकहते हैं। ये अधिकारी उस समय मेजर और लेफ्टिनेंट कर्नल के रैंक के होते थे। 

ये सभी अधिकारी एक सघन प्रशिक्षण से गुज़र कर आए होते हैं और अपने काम के माहिर होते हैं। अतः चयन प्रक्रिया में गलती होने की संभावना बहुत कम होती है। 

सर्विसेज सिलेक्शन बोर्डमें गुजरे मेरे तीन साल, मेरी सैन्य सेवा के सुनहरे पल थे। मुझे उम्मीदवारों से इंटरेक्शन करके बहुत अच्छा लगता था खास करके एनडीए के जोशीले कैंडिडेट्स से मिल कर मेरा भी उत्साह बढ़ जाता था।

       भगत राम मंडोत्रा हिमाचल प्रदेश दे जिला कांगड़ा दी तहसील जयसिंहपुर दे गरां चंबी दे रैहणे वाल़े फौज दे तोपखाने दे रटैर तोपची हन।  फौज च रही नैं बत्ती साल देश दी सियोआ करी सूबेदार मेजर (ऑनरेरी लेफ्टिनेंटदे औद्धे ते घरे जो आए। फौजी सर्विस दे दौरान तकरीबन तरताल़ी साल दिया उम्रा च एम.. (अंग्रेजी साहित्यदी डिग्री हासिल कित्ती। इस ते परंत सठ साल दी उम्र होणे तिकर तकरीबन पंज साल आई.बी, 'असिस्टेन्ट सेंट्रल इंटेलिजेंस अफसरदी जिम्मेबारी निभाई।

      लिखणे दी सणक कालेज दे टैमें ते ही थी। फौज च ये लौ दबोई रही पर अंदरें-अंदरें अग्ग सिंजरदी रही।  आखिर च घरें आई सोशल मीडिया दे थ्रू ये लावा बाहर निकल़ेया।

     हाली तिकर हिमाचली पहाड़ी च चार कवता संग्रहजुड़दे पुलरिहड़ू खोळूचिह्ड़ू-मिह्ड़ूफुल्ल खटनाळुये देछपी चुक्केयो। इक्क हिंदी काव्य कथा "परमवीर गाथा सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेतरपाल - परमवीर चक्र विजेताजो सर्वभाषा ट्रस्टनई दिल्ली ते 'सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान 2018' मिली चुकेया।

    हुण फेस बुक दे ज़रिये 'ज़रा सुनिए तोकरी नैं कदी-कदी किछ न किछ सुणादे रैंहदे हन।


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