पहाड़ी भाषा दी नौई चेतना .

Thursday, July 6, 2023

यादां फौजा दियां



फौजियां दियां जिंदगियां दे बारे च असां जितणा जाणदे
तिसते जादा जाणने दी तांह्ग असां जो रैंह्दी है। रिटैर फौजी भगत राम मंडोत्रा होरां फौजा दियां अपणियां यादां हिंदिया च लिखा दे थे। असां तिन्हां गैं अर्जी लाई भई अपणिया बोलिया च लिखा। तिन्हां स्हाड़ी अर्जी मन्नी लई। हुण असां यादां दी एह् लड़ी सुरू कीती हैदूंई जबानां च। पेश है इसा लड़िया दा तेतह्उआं मणका।


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समाधियाँ दे परदेस च (तेत्हमीं कड़ी)

 जित्थू तिकर मिंजो याद ओंदा है तिन्हाँ दिनाँ च असाँ जो, तिस जगह पर, 'रम कनै सिगरेट' भत्ते दे तौर पर हर महीने सताह्ट रुपइये कनै पंजाह् पैसे मिलदे थे।  जेसीओ कने जुआनाँ जो तिस अलाउंस दी पेमेंट तिन्हाँ दिनाँ च, महीने दी तनखाह साँह्ईं अक्यूईटैंस रोल (Acquittance Roll) पर नीं होयी करी, पलटन दे इम्प्रेस्ट एकाउंट ते, इकट्ठी ही इक 'कॉन्टिनजेन्ट बिल' पर होंदी थी।  तिस कॉन्टिनजेन्ट बिल कन्नै जेसीओ कनै जुआनाँ दी इक नॉमिनल रोल अटैच होंदी थी, जिस च  सारेयाँ दे नाँ दे साह्म्णे लिक्खेह्यो होंदे थे कि सैह् तिस महीनें पलटण च कितणे दिन रैह् कनै तिन्हाँ दा कितणा अलाउंस बणदा है। कुसजो कितणा 'रम कनै सिगरेट' अलाउंस मिलणा है एह् इस पर डिपेंड करदा था कि तिन्नी तिस महीनें पलटण दे 'कुक हॉउस'  च कितणे दिन खाणा खाह्द्या है यानी कि सैह् जिस्मानी तौर पर पलटण च कितणे दिन हाजिर रिहा है। तिस च छुट्टी, कोर्स, टेम्परेरी ड्यूटी, हस्पताल च भर्ती बगैरा दिया वजह करी नै यूनिट ते बाहर रैह्णे दे दिन नीं जोड़े जाँदे थे। 

चारेह्यो बैट्रियाँ दे जेसीओ कनै जुआनाँ ताँईं, बखरी-बखरी बणायी गयी तिस नॉमिनल रोल च, सारेयाँ दे नाँ दे साह्म्णे दस्सिह्यो अलाउंस दी रकम दा कुल जोड़, चार बखरे-बखरे 'कॉन्टिनजेन्ट बिलाँ' दे थ्रू, मुकदे महीनें तनख्वाह कन्नै यूनिट दे इम्प्रेस्ट एकाउंट ते निकाळेया जाँदा था। बैट्री दे जेसीओ कनै जुआनाँ दे तिस अलाउंस ताँईं निकाळी गयी रकम बैट्री क्वार्टर मास्टर व्ह्ली आयी जाँदी थी। तिसते परंत बैट्री क्वार्टर मास्टर तिस अलाउंस दा भुगताअग्गैं तिसदे हकदारां जो करी दिंदा था। 

तिस कमरे च रैह्णे जाँ खाणा खाणे वाळेयाँ दा 'रम कनै सिगरेट' अलाउंस, लाँस नायक कृष्ण कुमार यादव ही बैट्री क्वार्टर मास्टर ते लयी ओंदे थे। सैह् पैसा तिन्हाँ व्ह्ली ही रैंह्दा था जिस कन्नै सैह् असाँ सब्भना ताँईं शराब दा इंतजाम करदे थे। मिंजो याद है तिन्हाँ दिनाँ च, तिसा जगह पर, यूनिट कैंटीन च इक व्हिस्की दी बोतल चौबी जाँ पंजी रुपइये च मिली जाँदी थी। 

लाँस नायक यादव, सारेयाँ दे संझकणे खाणे ताँईं रोटियाँ कनै दाळ, बैट्री दे कुक हॉउस ते लई ओंदे थे। सब्जी दा इंतजाम सैह् अप्पू ही करदे थे। तित्थू ताजा सब्जियाँ कुसी जो भी नसीब नीं होंदियाँ थियाँ। ताजा प्याज भी दिखणे जो नीं मिलदा था। तित्थू खाणे दियाँ सारियाँ चीजाँ डिब्बाबंद ओंदियाँ थियाँ जिंञा कि सूक्केह्या प्याज, अंडा पाउडर, जैम, बटर, चिकन, मीट, मटन कीमा बगैरा। कुक हॉउस च डिब्बेयाँ जो खोह्ली करी तिन्हाँ चीजाँ जो तड़का मारी नै परोसी दित्तेया जाँदा था। 

लाँस नायक यादव डिब्बेयाँ दे डिब्बे ही चुक्की करी लई ओंदे थे कनै तिन्हाँ जो कमरे च पइह्याँ चारपाइयाँ थल्लैं कठेरदे रैंह्दे थे।  लुम्पो च तिन्न बैट्रियाँ थियाँ तिस करी तित्थू कुल मिलायी नै तिन्न कुक हॉउस थे। लाँस नायक यादव तिन्नों बैट्रियाँ ते किछ न किछ लियोंदे रैंह्दे थे।  तिन्हाँ जो कोई भी रोकदा-टोकदा नीं था। म्हारियाँ मनपसन्द चीजाँ, बहोत सारी गिणती च, असाँ व्ह्ली पई रैंह्दियाँ थियाँ।  हाई एल्टीट्यूड वाळे इलाकेयाँ च मिट्टी दा तेल (कैरोसीन) बहोत कम्म दी चीज होंदी है।  लाँस नायक यादव हमेशां दो जरीकेन यानी कि चाळी लीटर मिट्टी दा तेल रिज़र्व च रखदे थे। तिन्हाँ दे होंदेयाँ असाँ जो कोई फिकर करने दी जरूरत नीं होंदी थी। हाँ, जाह्लू सैह् दो महीने दी सालाना छूट्टी घर जाँदे ताँ, तिन्हाँ दिया जगह लगेह्यो जुआन जो, मिंजों कई बरी हिदायताँ देणा पोंदियाँ थियाँ। 

मिंजो मांस खाणे ते परहेज नीं था अपर मिंजो डिब्बाबंद मटन, कीमा बगैरा पसन्द नीं थे। तिन्हाँ चीजाँ जो दिखदेयाँ ही मेरे मने च भांत-भांत दे ख्याल ओणा लगी पोंदे थे। जदैह्ड़ी लाँस नायक यादव मटन, कीमा बगैरा बणांदे, सैह् मिंजो ताँईं मती सारी अंडेयाँ दी भुर्जी बणायी दिंदे थे। सैह् प्याज दे डिब्बे ते कटोह्या सुक्का प्याज निकाळदे कनै किछ देर ताँईं तत्ते पाणियें च पाई दिंदे। जाह्लू प्याज फुल्ली जाँदा, सैह् पाणिये जो निथारी (नटराळी) दिंदे थे।  सैह् प्याज ताजे कटे प्याज साह्ईं होयी जाँदा था। इंञा ही डिब्बाबंद प्यूळे रंग दे अंडा पाउडर जो तत्ते पाणियें च मिलायी करी तिस दे घोळ जो चमच कन्नै हिलाँदे कनै सैह् ताजा अंडेयाँ दे घोळे साह्ईं सुझणा लगदा था।  तिसदे परंत सैह् डिब्बे ते बटर निकाळी करी तिस्सेयो स्टोव पर रखेह्यो पतीले च पायी दिंदे। जाह्लू बटर पिघळी जाँदा सैह् तिस च भिगोह्या (सिज्जेह्या) प्याज पायी करी तिस जो थोड़ी देर भुनदे। फिरी अंडे दे पाउडर दा घोळ तिसच पायी दिंदे। लूण पिपळ मिलायी करी तिस्सेयो कड़छिया नै हिलाँदे होये किछ देर तिकर पकांदे कनै अंडेयाँ दी सुआदिष्ट भुर्जी बणी करी तैयार होयी जाँदी थी। 

फौज दे जुआनाँ दे कुक हॉउस जो मसाले खरीदणे ताँईं मसाला अलाउंस (कंडीमेंट अलाउंस) मिलदा है।  मसाला अलाउंस, इक तय शुदा रेट पर, तिस कुक हॉउस च खाणा खाणे वाळे जुआनाँ दी गिणती दे हिसाबे नै दित्तेया जाँदा है।  मसाला अलाउंस दे इलावा हाई एल्टीट्यूड च हर कुक हॉउस जो पापड़ कनै चार अलाउंस (पापड़ एंड पिकल अलाउंस) भी मिलदा है। सैह् अलाउंस भी इक तय शुदा रेट पर तिस कुक हॉउस च खाणा खाणे वाळेयाँ जुआनाँ दी गिणती दे हिसाबे नै दित्तेया जाँदा है। खाणे च पापड़ कनै चार इक खास रोल निभांदे हन्न। खाणा सुआदिष्ट होयी जाँदा है कनै जुआन, हाई एल्टीट्यूड च भी, पेट भरी खाणा खायी लैंदे हन्न।  तिस पैसे कनै, मेरी पलटण दे चारह्यों कुक हॉउसाँ ताँईं, दिल्ली दे व्यापारियाँ ते, क्विंटलाँ दे हिसाबें पापड़ कनै चार दी खरीदारी कित्ती जाँदी थी।  लाँस नायक यादव दे रिजर्व स्टाक च कई किस्मां दा मता सारा चार पयी रैंह्दा था।

 

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समाधियों के प्रदेश में (तैंतीसवीं कड़ी)

 

जहाँ तक मुझे याद आता है उन दिनों हमें, उस जगह पर, 'रम और सिगरेट' भत्ते के तौर पर प्रतिमाह सड़सठ रुपये पचास पैसे  मिला करते थे।  जेसीओ और जवानों को उस भत्ते की अदायगी उन दिनों मासिक वेतन की तरह अक्यूईटैंस रोल (Acquittance Roll) पर न होकर, यूनिट के इम्प्रेस्ट एकाउंट से, सामूहिक रूप में एक 'कॉन्टिनजेन्ट बिल' पर होती थी।  उस कॉन्टिनजेन्ट बिल के साथ जेसीओ और जवानों की एक नॉमिनल रोल संलग्न होती थी, जिसमें सभी के नाम के आगे लिखा हुआ होता था कि वे उस महीने पलटन में कितने दिन रहे और उनका कितना भत्ता बनता है। किस व्यक्ति को कितना 'रम और सिगरेट' भत्ता मिलना है यह इस बात पर निर्भर करता था कि उसने उस महीने के दौरान पलटन की भोजनशाला में कितने दिन खाना खाया है अर्थात वह शारीरिक रूप से पलटन में कितने दिन उपस्थित रहा है।  उसमें छुट्टी, कोर्स, अस्थायी ड्यूटी, हस्पताल में भर्ती इत्यादि के कारण यूनिट से बाहर रहने के दिन नहीं जोड़े जाते थे। 

चारों बैट्रियों के जेसीओ और जवानों के लिए अलग-अलग बनायी गयी उस नॉमिनल रोल में सभी व्यक्तियों के नाम के सामने दर्शाए गये भत्ते की राशि का कुल योग चार अलग-अलग 'कॉन्टिनजेन्ट बिलों' के द्वारा, महीने के अंत में, वेतन के साथ यूनिट के इम्प्रेस्ट एकाउंट से निकाल लिया जाता था। बैट्री के जेसीओ व जवानों के उस भत्ते के लिए निकाली गई राशि बैट्री क्वार्टर मास्टर के पास आ जाती थी। तदोपरांत बैट्री क्वार्टर मास्टर उस भत्ते का भुगतान आगे उसके हकदारों को कर देता था। 

उस कमरे में रहने अथवा खाना खाने वालों का 'रम और सिगरेट' भत्ता, लाँस नायक कृष्ण कुमार यादव ही बैट्री क्वार्टर मास्टर से ले कर आते थे। वह पैसा उनके पास ही रहता था जिससे वे हम सब के लिए शराब का इंतजाम करते थे। उन दिनों मुझे याद है उस जगह पर यूनिट कैंटीन में एक व्हिस्की की बोतल चौबीस या पच्चीस रुपये में मिल जाती थी। 

लाँस नायक यादव, सभी के शाम के खाने के लिए रोटियाँ व दाल, बैट्री भोजन पाकशाला से ले आते थे। सब्जी का इंतजाम वे स्वयं करते थे। वहाँ ताजा सब्जियाँ किसी को भी नसीब नहीं होती थीं। ताजा प्याज भी देखने को नहीं मिलता था। खाने की सभी वस्तुएं डिब्बाबंद आती थीं जैसे सूखा प्याज, अंडा पाउडर, जैम, बटर, चिकन, मीट, मटन कीमा इत्यादि।  भोजन पाकशाला में डिब्बों को खोल कर उन खाद्य पदार्थों को तड़का लगा कर परोस दिया जाता था।  

लाँस नायक यादव डिब्बे के डिब्बे ही उठा कर ले आते थे और उन्हें कमरे में पड़ी चारपाइयों के नीचे जमा करते रहते थे।  लुम्पो में तीन बैट्रियाँ थीं अतः वहाँ कुल मिला कर तीन भोजन पाकशालाएं थीं।  लाँस नायक यादव तीनों बैट्रियों से कुछ न कुछ लाते रहते थे।  उन्हें कोई भी रोकता-टोकता नहीं था।  हमारी मनपसन्द चीजें प्रचुर मात्रा में हमारे पास पड़ी रहती थीं।  हाई एल्टीट्यूड वाले क्षेत्रों में मिट्टी का तेल (कैरोसीन) अत्यधिक उपयोगी होता है।  लाँस नायक यादव हमेशा दो जरीकेन अर्थात चालीस लीटर मिट्टी का तेल रिज़र्व में रखते थे।  उनके रहते हमें कोई चिंता करने की ज़रूरत नहीं होती थी।  हाँ, जब वे दो मास के वार्षिक अवकाश पर घर जाते तो उनकी जगह नियुक्त जवान को मुझे बार-बार निर्देश देने पड़ते थे। 

मुझे मांस खाने से परहेज़ नहीं था परंतु मुझे डिब्बाबंद मटन, कीमा इत्यादि पसन्द नहीं थे। उन चीजों को देखते ही मेरे मन में तरह-तरह के विचार आने लग पड़ते थे। जब भी लाँस नायक यादव मटन, कीमा इत्यादि बनाते वे मेरे लिए प्रचुर मात्रा में अंडे की भुर्जी बना देते थे। वे प्याज के डिब्बे से कटा हुआ सूखा प्याज निकालते और कुछ देर के लिए गर्म पानी में डाल देते। जब प्याज फूल जाता, वे पानी को निथार देते थे। वह प्याज ताजा कटे प्याज की तरह दिखने लगता था। उसी तरह डिब्बाबंद पीले रंग के अंडा पाउडर को गर्म पानी में मिला कर उस के घोल को चम्मच से हिलाते और वह ताजा अंडों के घोल जैसा दिखने लगता था। इसके बाद वे डिब्बे से बटर निकाल कर उसे स्टोव पर रखे पतीले में डाल देते। जब बटर पिघल जाता वे उसमें भिगोया हुआ प्याज डाल कर उसे थोड़ी देर भूनते। फिर अंडे के पाउडर का घोल उसमें डाल देते। नमक मिर्च मिला कर उसे कड़छी से हिलाते हुए कुछ देर तक पकाते और अंडों की स्वादिष्ट भुर्जी बन कर तैयार हो जाती थी। 

सेना के जवानों की हर भोजन पाकशाला को मसाले खरीदने के लिए मसाला भत्ता (कंडीमेंट अलाउंस) मिलता है।  मसाला भत्ता, एक निर्धारित रेट पर, उस पाकशाला में भोजन खाने वाले सैनिकों की संख्या के आधार पर दिया जाता है। मसाला भत्ते के अतिरिक्त हाई एल्टीट्यूड में हर भोजन पाकशाला को पापड़ और आचार भत्ता (पापड़ एंड पिकल अलाउंस) भी मिलता है। वह भत्ता भी एक निर्धारित दर पर उस पाकशाला में भोजन करने वाले सैनिकों की संख्या के आधार पर दिया जाता है। भोजन में पापड़ और आचार एक विशेष भूमिका निभाते हैं। खाना स्वादिष्ट हो जाता है और सैनिक, हाई एल्टीट्यूड में भी, पेट भर कर खाना खा लेते हैं।  उस पैसे से, मेरी पलटन के चारों कुक हाउसों के लिए, दिल्ली के व्यापारियों से, क्विंटलों के हिसाब से पापड़ और आचार की खरीदारी की जाती थी।  लाँस नायक यादव के रिजर्व भंडार में विभिन्न प्रकार का आचार भी प्रचुर मात्रा में पड़ा रहता था।

हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा से संबन्ध रखने वाले भगत राम मंडोत्रा एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं। उनकी  प्रकाशित पुस्तकें हैं      
 
जुड़दे पलरिह्ड़ू खोळूचिह्ड़ू मिह्ड़ूपरमवीर गाथा..फुल्ल खटनाळुये देमैं डोळदा रिहासूरमेयाँ च सूरमे और हिमाचल के शूरवीर योद्धा।
यदाकदा 
'फेस बुकपर 'ज़रा सुनिए तोकरके कुछ न कुछ सुनाते रहते हैं।

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